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सोसाइटी ऑफ मैनुफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने बुधवार को बताया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सोसाइटी ऑफ मैनुफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने बुधवार को बताया है कि वर्ष 2020 में केवल 25,735 फास्ट स्पीड के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री होने के साथ फेम-दो योजना के तहत मार्च 2022 तक ऐसे 10 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य हासिल करना दूर की कौड़ी नजर आता है.
SMEV के अनुसार उच्च गति के दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 2020 में 2019 में बेचे गये 27,224 यूनिट्स के मुकाबले 5.46 प्रतिशत कम रही है. इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के विनिर्माण और उपयोग को बढ़ावा देने की योजना (फेम-2) के तहत इन वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाता है.
एसएमईवी ने एक बयान में कहा, ''इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहन उद्योग ने कोविड-19 महामारी के बावूजद 2020 में 25,735 उच्च गति के दोपहिया वाहनों की बिक्री की जो एक साल पहले 27,224 इकाई थी. इसके बावजूद फेम-2 योजना के तहत 10 लाख यूनिट्स की बिक्री का महत्वकांक्षी लक्ष्य हासिल करना दूर की कौड़ी जान पड़ता है.''
फेम-2 योजना की शुरुआत अप्रैल 2019 में हुई और इसके तहत मार्च 2022 तक कम-से-कम 10 लाख उच्च गति के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री का लक्ष्य है. फेम-2 योजना इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री को गति देने में विफल रही है. ''जनवरी 2019 से वास्तविक संचयी बिक्री 52,959 रही है, हालांकि, इस योजना के तहत बिक्री केवल 31,813 इकाई ही रही.''
इस बारे में एसएमईवी के महानिदेशक सोहिन्दर गिल ने कहा, ''फेम-2 योजना के तहत कुछ अच्छी बातें हैं और सराहनीय लक्ष्य रखा गया है लेकिन इसमें कई शर्तें भी हैं जो समय से पहले अनावश्यक रूप से डाल दी गयी हैं. इसके करण अब तक निर्धारित लक्ष्य का केवल 4 प्रतिशत ही हासिल किया जा सका है.''
उन्होंने कहा कि योजना ग्राहकों को प्रदूषण फैलाने वाले पेट्रोल बाइक की जगह इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की ओर आकर्षित नहीं कर सकी. इसका कारण फेम-दो योजना के तहत पूर्व शर्तें और पात्रता मानदंड हैं. इससे सब्सिडी के बावजूद लोगों के लिये बाइक महंगी हुई है.
हालांकि गिल ने कहा, ''इन झटकों के बावजूद इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन उद्योग सकारात्मक धारणा देख रहा है. ग्राहक इसमें रुचि दिखा रहे हैं. अगर फेम-2 योजना में अनावश्यक शर्तों को हटाया जाता है, इससे न केवल निर्धारित लक्ष्य हासिल करने मे मदद मिलेगी बल्कि 'मेड इन इंडिया' उत्पादों में निवेश को भी गति मिल सकती है.''
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