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इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बात करें तो आजकल पूरी दुनिया में लगातार वाहन निर्माता कंपनियां इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लॉन्च कर रही हैं. लेकिन अगर इनके बिक्री की बात की जाए तो इसने अभी तक उस तरीके से जोर नहीं पकड़ा है जैसे पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की बिक्री होती है. इसका मुख्य कारण इसकी कीमत है जो अन्य गाड़ियों की तुलना में ज्यादा है और यह सिर्फ भारत नही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी महंगी हैं. हालांकि अगर Bloomberg NEF के रिसर्च की मानें तो जल्द ही इसमें बदलाव हो सकता है.
इस स्टडी में पता चला है कि 2027 तक इलेक्ट्रिक कारें अन्य इंटर्नल कम्बश्चन इंजन (ICE) व्हीकल्स से सस्ती होंगी. इस स्टडी को यूरोपियन मार्केट में किया गया है जो दुनिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का सबसे बड़ा मार्केट है. इस स्टडी में कहा गया है कि जल्द ही कड़े एमिशन नॉर्म्स आने वाले हैं और इसके साथ ही इन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बैटरी की कीमतों में भी कमी आएगी जिससे भविष्य में इलेक्ट्रिक कार पेट्रोल और डीजल व्हीकल्स से सस्ती हो जाएंगी.
2035 तक यूरोप में 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक कारों का होगा इस्तेमाल
Bloomberg NEF की स्टडी एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन ट्रासंपोर्ट एंड एनवायरमेंट द्वारा किया गया है. इसमें दावा किया गया है कि आने वाले दिनों में बैटरी की लागत कम हो जाएगी और अगले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक कारों की सेल बढ़ जाएगी. यहां तक की 2035 तक यूरोप में यह आंकड़ा 100 प्रतिशत का हो सकता है.
नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन ट्रासंपोर्ट एंड एनवायरमेंट में व्हीकल एंड ईमोबिलिटी के सीनियर डायरेक्टर जुलिया जूलिया पोलिसानोवा ने कहा, " 6 साल के भीतर इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीदारी सभी खरीदारों के लिए एक रिएलिटी होगी. यह सभी लोगों के लिए कम्बश्चन इंजन से ज्यादा सस्ती होंगी. इसे बर्लिन में रहने वाला एक वैन वाला आदमी से लेकर रोमानियन कंट्रीसाइड में रहने वाला एक परिवार भी खरीद सकेगा. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स न सिर्फ क्लाइमेट और यूरोप इंडस्ट्रियल लीडरशिप के लिए बेहतर हैं बल्कि इकोनॉमी के लिए भी अच्छी हैं."
सेडान और हैचबैक कारों को सस्ता होने में लगेगा इतना समय
इस रिसर्च के अनुसार इलेक्ट्रिक सेडान और इलेक्ट्रिक एसयूवी कारें पांच सालों में अपने पेट्रोल और डीजल वाली कारों के कीमत के बराबर पहुंच जाएंगी. वहीं इलेक्ट्रिक हैचबैक जैसी छोटी कारों को एक साल और लग सकता है जब वे पेट्रोल और डीजल की कारों से कम खर्चिली हो जाएंगी.
हालांकि इस रिसर्च में यह भी कहा गया है कि इस चीज को करने के लिए पॉलिसी से लेकर बैटरी की कीमत को रिवाइज करना होगा. उदाहरण के लिए बता दें कि ट्रांसपोर्ट एंड एनवायरमेंट ने अनुमान लगाया है कि इस दशक में इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी की कीमत में 58 प्रतिशत की गिरावट आएगी. ऐसे में इलेक्ट्रिक कार में सबसे महंगे कम्पोनेंट बैटरी की कीमत में कटौती होने पर अपने आप कारों की कीमत कम हो जाएगी.
बता दें कि कई यूरोपियन देश ICE व्हीकल्स के लिए एक्सपायरी डेट सेट कर दी है और इसके साथ कड़े एमिशन रूल्स को लागू किया है जो इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं. फॉक्सवैगन और मर्सिडीज-बेंज जैसी बड़ी कार कंपनियों ने भी अपने ICE व्हीकल्स को बाहर निकालने के लिए डेडलाइन फिक्स कर दी है.
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