व्यापार

खाने का तेल 5 से 20 रुपये तक हुआ सस्ता

Bhumika Sahu
12 Jan 2022 2:37 AM GMT
खाने का तेल 5 से 20 रुपये तक हुआ सस्ता
x
भारत खाद्य तेलों के सबसे बड़े आयातकों में शुमार है क्योंकि देश का उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है. देश में खाद्य तेलों की कुल खपत का करीब 56-60 फीसदी आयात करना पड़ता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार (Government) ने कहा कि देशभर में खाद्य तेलों (Edible Oil) की खुदरा कीमतें वैश्विक बाजार के अनुरूप एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में ऊंची हैं लेकिन अक्टूबर, 2021 के बाद से इनमें गिरावट का रुझान है. 167 प्राइस कलेक्शन सेंटर्स के रुझान के अनुसार, देशभर के प्रमुख खुदरा बाजारों में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में 5-20 रुपये प्रति किलोग्राम की भारी गिरावट आई है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मूंगफली तेल का (Groundnut Oil) ऑल इंडिया एवरेज रिटेल प्राइस 180 रुपये प्रति किलो, सरसों तेल (Mustard oil) का 184.59 रुपये प्रति किलो, सोया तेल (Soya oil) का 148.85 रुपये प्रति किलो, सूरजमुखी तेल (Sunflower oil) का 162.4 रुपये प्रति किलो और पाम तेल (Palm Oil) का 128.5 रुपये प्रति किलो था.

आंकड़ों में दर्शाया गया है कि एक अक्टूबर, 2021 को प्रचलित कीमतों की तुलना में, मूंगफली और सरसों के तेल की खुदरा कीमतों में 1.50-3 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है, जबकि सोया और सूरजमुखी के तेल की कीमतें अब 7-8 रुपये प्रति किलोग्राम नीचे आ चुकी हैं.
इन कंपनियों ने घटाए खाने के तेल के दाम
मंत्रालय के मुताबिक, अडाणी विल्मर और रुचि इंडस्ट्रीज समेत प्रमुख खाद्य तेल कंपनियों ने कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है. जिन अन्य कंपनियों ने खाद्य तेलों की कीमतों में कमी की है, वे हैं जेमिनी एडिबल्स एंड फैट्स इंडिया, हैदराबाद, मोदी नैचुरल्स, दिल्ली, गोकुल री-फॉयल एंड सॉल्वेंट, विजय सॉल्वेक्स, गोकुल एग्रो रिसोर्सेज और एन के प्रोटीन्स.
अक्टूबर से आ रही हैं नीचे
उसने कहा है, इंटरनेशनल कमोडिटीज की कीमतें अधिक होने के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी में साथ हस्तक्षेप से खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आई है. खाद्य तेल की कीमतें एक साल पहले की अवधि की तुलना में अधिक हैं लेकिन अक्टूबर से ये नीचे आ रही हैं.
सरकार द्वारा उठाये गए कदमों का असर
इसमें कहा गया है कि आयात शुल्क में कमी और जमाखोरी पर अंकुश को स्टॉक की सीमा लगाने जैसे अन्य कदमों से सभी खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों को कम करने में मदद मिली है और उपभोक्ताओं को राहत मिली है. सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बाद आयात शुल्क कच्चे पाम तेल पर 7.5 फीसदी और कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी पर 5 फीसदी है. आरबीडी पामोलिन ऑयल पर बेसिक ड्यूटी हाल ही में 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दी गई है. रिफाइंड सोयाबीन और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर बेसिक ड्यूटी 32.5 फीसदी से घटाकर 17.5 फीसदी कर दी गई है.
भारत खाने के तेल का सबसे बड़ा आयातकों में से एक
खाद्य तेलों के आयात पर भारी निर्भरता के कारण घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयास करना महत्वपूर्ण है. भारत खाद्य तेलों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है क्योंकि इसका घरेलू उत्पादन इसकी घरेलू मांग को पूरा करने में असमर्थ है. देश में खाद्य तेलों की खपत का लगभग 56-60 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है.
मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर/लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें दबाव में हैं. इसलिए खाद्य तेलों की घरेलू कीमतें आयातित तेलों की कीमतों से तय होती हैं.


Next Story