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ऐमजॉन-फ्यूचर-रिलायंस विवाद में ईडी ने की जांच शुरू, जानिए पूरा मामला

Deepa Sahu
28 Jan 2021 3:54 PM GMT
ऐमजॉन-फ्यूचर-रिलायंस विवाद में ईडी ने की जांच शुरू, जानिए पूरा मामला
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अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन, मुकेश अंबानी की अगुवाई

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: नई दिल्ली: अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन, मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और फ्यूचर ग्रुप (Future Group) के बीच चल रहे विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ऐमजॉन के खिलाफ फेमा नियमों के उल्लंघन की जांच शुरू कर दी है। ऐमजॉन पर फ्यूचर रीटेल लिमिटेड के साथ डील में फेमा नियमों के उल्लंघन का आरोप है।

ऐमजॉन ने रिलायंस और फ्यूचर रीटेल के बीच हुई डील को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने पिछले महीने ऐमजॉन पर प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि अमेरिकी कंपनी ने सरकार की मंजूरी के बिना फ्यूचर रीटेल पर अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण कर लिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐमजॉन ने तीन एग्रीमेंट्स के जरिए ऐसा किया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि इन एग्रीमेंट्स में फेमा के नियमों का उल्लंघन हुआ है। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि ऐमजॉन फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस रीटेल के सौदे के खिलाफ संवैधानिक संस्थाओं का दरवाजा खटखटा सकती है। ऐमजॉन के खिलाफ कोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणी के कई दिन बीत जाने के बाद ईडी ने कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की है।

क्या है डील
फ्यूचर ग्रुप ने अगस्त में फ्यूचर रीटेल सहित अपनी 5 लिस्टेड कंपनियों की फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड में विलय करने की घोषणा की थी। इसके बाद रीटेल बिजनस को रिलायंस को ट्रांसफर किया जाएगा। यह सौदा करीब 25000 करोड़ रुपये का है। ऐमजॉन की फ्यूचर रीटेल में फ्यूचर कूपंस के जरिए 5 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐमजॉन ने 2019 में फ्यूचर कूपंस में 49 फीसदी हिस्सेदारी 1500 करोड़ रुपये में खरीदी थी। ऐमजॉन ने फ्यूचर पर आरोप लगाया कि उसने उसकी सहमति के बिना अपना कारोबार रिलायंस को बेच दिया।
ऐमजॉन की याचिका पर सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) ने आदेश दिया था कि उसका अंतिम फैसला आने तक फ्यूचर ग्रुप के रीटेल कारोबार की रिलायंस को बिक्री की योजना आगे नहीं बढ़ाई जाए। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने हाल में फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के सौदे को मंजूरी दी थी। इसके बाद बंबई स्टॉक एक्सचेंज ने भी इस सौदे पर अपनी मुहर लगा दी। ऐमजॉन ने सेबी और अन्य नियामक एजेंसियों को कई पत्र लिखकर इस सौदे को अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था।


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