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2025-26 में सरकारी पूंजीगत खर्च और उपभोग में बढ़ोतरी से तेजी से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था: रिपोर्ट

jantaserishta.com
17 Jan 2025 10:08 AM GMT
2025-26 में सरकारी पूंजीगत खर्च और उपभोग में बढ़ोतरी से तेजी से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था: रिपोर्ट
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नई दिल्ली: भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) का मानना है कि 2025-26 में बाहरी चुनौतियों के बावजूद सरकार पूंजीगत व्यय और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से देश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
फिक्की ने अपनी ताजा इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा कि सरकार का फोकस पूंजीगत खर्च पर है और यह वित्त वर्ष 2025-26 में विकास की गति को बढ़ाने में अहम भूमिक निभाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी ढांचे और इससे जुड़े क्षेत्रों जैसे सड़क, आवास, लॉजिस्टिक्स और रेलवे में निवेश से आर्थिक गति को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कृषि क्षेत्र के अच्छे आउटलुक के कारण इस वर्ष ग्रामीण खपत में सुधार देखने को मिल सकता है। इससे उपभोग में इजाफा होगा। महंगाई में आने वाले समय में कमी देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों को कम किया जा सकता है। इससे खपत को और बढ़ावा मिलेगा।
इंडस्ट्री बॉडी ने अपने आउटलुक में आगे कहा कि इन सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से लेकर 6.9 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में बताया गया कि आगामी वित्त वर्ष में महंगाई दर 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमान के मुताबिक है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि संभावित यूएस-चीन व्यापार संघर्ष आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकते हैं और अल्पावधि में इनपुट लागत बढ़ा सकते हैं। हालांकि, अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि अमेरिका भारत के प्रति एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा। वहीं, चीन से बाहर जाते उद्योगों से भारत को लाभ होगा। रिपोर्ट में कहा गया है, "टारगेटेड औद्योगिक नीतियां और क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियां इन अवसरों को भुनाने के लिए महत्वपूर्ण रहेंगी। अमेरिकी कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने से वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों कम होगी, जिसका फायदा भारत को मिलेगा।"
जोखिमों को दूर करने और अवसरों को अनलॉक करने के लिए रिपोर्ट में अर्थशास्त्रियों ने सिफारिश की है कि भारत को राजस्व स्थिरता और न्यूनतम घरेलू प्रभाव सुनिश्चित करते हुए चुनिंदा और विशिष्ट अमेरिकी आयातों पर शुल्क कम करने का मूल्यांकन करना चाहिए।
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