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सोमवार को पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण, आवश्यक वस्तुओं को विदेशों से किया जाएगा आयात

Tulsi Rao
31 Jan 2022 5:27 PM GMT
सोमवार को पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण, आवश्यक वस्तुओं को विदेशों से किया जाएगा आयात
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आर्थिक सर्वेक्षण में चेताते हुए कहा गया है कि इससे देश के घरेलू उत्पादकों पर गलत असर पड़ेगा और उनमें अनिश्चितता का माहौल पैदा होगा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में आवश्यक वस्तुओं दाल और तेल कीमतों में हो रही जोरदार बढ़ोत्तरी और फिर इन्हें विदेशों से आयात कर देशवासियों को राहत दिए जाने पर आर्थिक सर्वेक्षण में चेताते हुए कहा गया है कि इससे देश के घरेलू उत्पादकों पर गलत असर पड़ेगा और उनमें अनिश्चितता का माहौल पैदा होगा.

आईएएनएस की खबर के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश को एक संतुलित आयात नीति की आवश्‍यकता है.
इसमें कहा गया है कि दालों और खाद्य तेलों जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बार-बार आयात शुल्क/टैरिफ संशोधनों के माध्यम से कमी करके उपभोक्ताओं को तत्काल राहत प्रदान की गई है लेकिन इस प्रकार कीमतें कम करने से घरेलू उत्पादकों में गलत संकेत जाता है और अनिश्चितता का माहौल बनता है.
इसमें कहा गया है कि सरकार द्वारा इस दिशा में एक कदम उठाया है, जहां म्यांमार के साथ 2.5 लाख टन उड़द और एक लाख टन तूअर दाल और मालावी के साथ एक लाख टन तूअर के वार्षिक आयात के लिए पांच साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इसके अलावा और मोजाम्बिक के साथ दो लाख टन तूअर के वार्षिक आयात को और पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि ये समझौता ज्ञापन विदेशों में उत्पादित और भारत को निर्यात की जाने वाली दालों की मात्रा में पूवार्नुमान सुनिश्चित करेगा जिससे भारत और दाल निर्यातक देश दोनों को लाभ होगा.
किसानों को चावल और गेहूं की खेती से दलहन और तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने से देश को दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. इससे आयात निर्भरता को कम करने में भी सहायता मिलेगी.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में मुद्रास्फीति के निर्धारण में आपूर्ति पक्ष के कारकों के महत्व को देखते हुए लंबी अवधि की नीतियों से मदद मिलने की संभावना है.
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दलहन की ओर खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने से सरकार चावल और गेहूं के वास्तविक बफर स्टॉक को बनाए रखने में सक्षम होगी. हाल ही में सरकार क्षेत्र विस्तार, बेहतर उपज देने वाली किस्मों, न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी दामों पर खरीद के माध्यम से दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ाने को प्राथमिकता दे रही है.
जल्द नष्ट होने वाली वस्तुओं के परिवहन और भंडारण के बुनियादी ढांचे पर भी ध्यान दिया गया है. उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में मौसमी बढ़ोत्तरी को कम करने, खराब मौसम में उपलब्धता सुनिश्चित करने और वाली आवश्यक वस्तुओं की कम बर्बादी सुनिश्चित करने के लिए बेहतर भंडारण और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन की आवश्यकता है.
खराब होने वाली वस्तुओं की फसल के प्रबंधन, बुनियादी ढांचे के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए कृषि अवसंरचना कोष का प्रभावी उपयोग देश में कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार करने में मदद कर सकता है. इसमें कहा गया है कि ऑपरेशन ग्रीन और किसान रेल जैसी योजनाओं का अधिक फायदा किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं तक पहुंचाए जाने की जरूरत


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