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दिसंबर 2024 में ई-वे बिल दो साल के दूसरे उच्चतम स्तर पर पहुंचा
jantaserishta.com
10 Jan 2025 7:37 AM GMT
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नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) पोर्टल द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्यों के भीतर और राज्यों के बीच माल परिवहन के लिए व्यवसायों द्वारा जारी ई-वे बिल 24 महीनों में दिसंबर में अपने दूसरे उच्चतम स्तर पर पहुंच गए।
बीते साल दिसंबर में ई-वे बिल सालाना आधार पर 17.6 प्रतिशत और मासिक आधार पर 10 प्रतिशत बढ़कर 112 मिलियन तक पहुंच गए। यह नवंबर के पांच महीने के निचले स्तर 101.8 मिलियन से शानदार वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि, दिसंबर में ई-वे बिल जनरेशन अक्टूबर 2024 के उच्चतम स्तर से कम रहा। देश भर में माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल जनरेशन अक्टूबर 2024 के दौरान 117 मिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
50,000 रुपये से ज्यादा मूल्य के माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल अनिवार्य हैं और इसलिए यह अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई के रुझान का एक शुरुआती संकेतक है। यह अक्सर मैक्रोइकॉनोमिक संकेतकों में देरी से दिखाई देता है। ई-वे बिलों में वृद्धि आर्थिक गतिविधि में वृद्धि को दर्शाती है। खास कर त्योहारी सीजन के दौरान अर्थव्यवस्था में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आती है।
ई-वे बिलों में वृद्धि का तेजी से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था पर पड़ता है और राजस्व भी बढ़ता है। इससे सरकार के हाथ में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर निवेश करने और गरीबों का उत्थान करने संबंधी संसाधन उपलब्ध होते हैं।
दिसंबर में ई-वे बिल जनरेशन में आई तेजी जनवरी 2025 के जीएसटी संग्रह आंकड़ों में दिखने की उम्मीद है, जो 1 फरवरी को जारी किया जाएगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में भारत का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 7.3 प्रतिशत बढ़कर 1.77 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 1.65 लाख करोड़ रुपये था।
दिसंबर के जीएसटी कलेक्शन में सेंट्रल जीएसटी 32,836 करोड़ रुपये, स्टेट जीएसटी 40,499 करोड़ रुपये, इंटीग्रेटेड जीएसटी 47,783 करोड़ रुपये और सेस 11,471 करोड़ रुपये था।
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