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ऑटो सेक्टर की ग्रोथ बढ़ाने के लिए अब इस्तेमाल किया जाएगा E-commerce सेक्टर

Gulabi
12 April 2021 6:49 AM GMT
ऑटो सेक्टर की ग्रोथ बढ़ाने के लिए अब इस्तेमाल किया जाएगा E-commerce सेक्टर
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डिजिटल मीडियम के जरिए मारुति की सेल बढ़ी

एडवाइजरी फर्म ग्रांट थॉर्नटन भारत के मुताबिक ई-कॉमर्स और डिजिटलीकरण की मजबूत स्वीकृति से भारत के ऑटो सेक्टर के विकास में तेजी आने की उम्मीद है. इस हिसाब से, भारत का ऑटोमोबाइल बाजार 222 बिलियन डॉलर से वर्तमान में 2026 तक '2.3X' से अधिक बढ़कर 512 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.


विशेष रूप से, एलाइड मार्केट रिसर्च, मार्केट लाइन, भारतीय रिजर्व बैंक और ग्रांट थॉर्नटन भारत की एनालिसिस से पता चला कि ई-कॉमर्स पोर्टल्स ने ऑटोमोबाइल बाजार पर फोकस किया है. जैसे कि ड्रूम, कार देखो और ओएलएक्स ने कस्टमर्स और यूजर्स के एक्सपीरियंस को स्पॉटलाइट में लाकर रख दिया है ताकि डेवलपर्स को अधिक से अधिक यूजर्स को को आकर्षित करने में मदद मिल सके.


इसके अलावा, इंटरनेट और स्मार्टफोन यूजर्स के बढ़ते आधार से डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा और ई-कॉमर्स पोर्टल्स के बाजार के आकार को बढ़ाने में वृद्धि होगी.

ग्रांट थॉर्नटन भारत के स्पोक्सपर्सन ने कहा, "ऑनलाइन चैनल के मजबूत एमरजेंस और एक्सेप्टेंस ने ऑटो सेक्टर में कस्टमर्स के लिए वाहन की गुणवत्ता पर सर्टिफिकेशन के साथ सीमलेस सॉल्यूशन, प्राइस डिसकवरी, ट्रांस्पैरेंसी, डिजिटल रीयल-टाइम पेमेंट के लिए प्रोत्साहित किया है."

डिजिटल मीडियम के जरिए मारुति की सेल बढ़ी
एनालिसिस रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल से, मारुति सुजुकी ने डिजिटल माध्यमों से बिक्री में पांच गुना वृद्धि देखी, जो अब उनकी कुल बिक्री का 20 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया, "कस्टमर की खरीदारी और रिसर्च वरीयताओं में ये बदलाव ऑटो सेक्टर के लिए एक बड़े बदलाव का संकेत देते हैं क्योंकि Covid19 ने ऑनलाइन चैनल में ट्रैक्शन हासिल करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी. टेक्नोलॉजी इनेबल्ड इनोवेशन जैसे सिक्योर डिजिटल पेमेंट, हाइपर-लॉजिकल लॉजिस्टिक्स, एनालिटिक्स से संचालित ग्राहक जुड़ाव (Analytics-Driven Customer Engagement), बढ़ती कस्टमर जागरूकता और डिजिटल एडवरटाइजमेंट के जरिए ऑटो सेक्टर के आगे बढ़ने की संभावना टेज है."

रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम के साथ बढ़ते मिडिल क्लास और यंग पापुलेशन जैसे दूसरे फैक्टर इस क्षेत्र को बढ़ने में मददगार साबित होंगे. इसके अलावा, कई राज्यों में रेगुलेटरी रूल्स के कारण वाहन के स्वामित्व के कार्यकाल में कमी के साथ-साथ कई फाइनेंस विकल्पों की उपलब्धता के जरिए लोगों का रुख वाहन खरीदने की ओर बढ़ा है.
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