इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और ड्राइवरलेस कारें, ये दो ऐसे सेक्टर हैं जिनमें ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री सबसे तेजी से काम कर रही है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले विशेषज्ञ इन दोनों क्षेत्रों में लगातार प्रयासरत है। लेकिन इसी बीच पुणे के इंजीरियरिंग स्टूडेंट्स के एक दल ने ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक कार बनाने का दावा किया है। उन्होनें इसे बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस वाहन को विकसित करने के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलिकम्यूनिकेशन के छात्रों ने मिलकर काम किया है। बताया जा रहा है कि ये ऑटोनॉमस व्हीकल लेवल 3 पर बेस्ड है, और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन के लिए उन्होंने एक BLDC इलेक्ट्रिक मोटर और लिथियम आयरन फॉस्फेट बैटरी का उपयोग किया है।
दावा किया जा रहा है कि, इस ड्राइवलेस इलेक्ट्रिक कार के स्टीयरिंग व्हील, थ्रॉटल और ब्रेक को कई अलग-अलग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम से कंट्रोल किया गया है। इस कार में सेंसर, लीडर कैमरा, माइक्रोप्रोसेसर, ऑटोमेटिक एक्शन कंट्रोल सिस्टम इत्यादि जैसे फीचर्स दिए गए हैं। इस कार को विकसित करने वाले छात्रों का कहना है कि, ये कार सिंगल चार्ज में 40 किलोमीटर तक का सफर करने में सक्षम है। इसकी बैटरी को फुल चार्ज होने में 4 घंटे का समय लगता है। डेवलपर्स का यह भी दावा है कि, इस वाहन का उपयोग परिवहन, कृषि, खनन जैसे कई अलग-अलग क्षेत्रों में किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग परिवहन के लिए मेट्रो स्टेशनों को आसपास के क्षेत्रों से जोड़ने के लिए किया जा सकता है। इन इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग अन्य स्थानों जैसे हवाई अड्डों, विश्वविद्यालयों, गोल्फ क्लब आदि में भी किया जा सकता है। हालांकि इस सेल्फ-ड्राइविंग इलेक्ट्रिक फोर-व्हीलर को एक रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया गया है, लेकिन इसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं है कि इसे बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तैयार किया जाएगा या नहीं। इससे पहले सरकार ड्राइवरलेस कारों के अनुमति को लेकर अपना रूख साफ कर चुकी है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार मीडिया को दिए अपने एक बयान में कहा था कि, सरकार भारत में ड्राइवरलेस कारों के प्रयोग की अनुमति नहीं देगी।