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Dolo 650: कोरोना काल में बिक गईं 350 करोड़ गोलियां, बनी भारतीयों का पसंदीदा 'स्नैक', हर पर्चे में इस मेडिसिन का नाम
jantaserishta.com
22 Jan 2022 1:20 PM GMT

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नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के दौरान कई दवाइयों की बिक्री ने नए रिकॉर्ड बनाए. Dolo 650 तो इस महामारी के दौरान सबसे ज्यादा Prescribe की गई दवा बन गई. इस दौरान Dolo 650 की 350 करोड़ गोलियां (टैबलेट) बिकीं. करीब 567 करोड़ रुपये की सेल के ये आंकड़े दिखाते हैं कि कोरोना काल में इस दवा की कितनी तगड़ी डिमांड रही.
Dolo 650 की बिक्री दूसरी तिमाही के दौरान पीक पर रही. अप्रैल 2021 में Dolo 650 के 49 करोड़ रुपये मूल्य के टैबलेट बिके. हेल्थकेयर रिसर्च फर्म IQVIA के अनुसार यह इस मेडिसिन की अब तक की सबसे ज्यादा सेल है. यही वजह है कि लोगों ने इसे भारत का नेशनल टैबलेट और फेवरिट स्नैक कहना शुरू कर दिया था.
Dolo 650 में पैरासिटामोल (Paracetamol) एक्टिव इंग्रेडिएंट्स होता है. 2019 में सभी ब्रांड्स के पैरासिटामोल की बिक्री करीब 530 करोड़ रुपये की हुई थी. 2021 में यह आंकड़ा 924 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. Dolo 2021 में सबसे ज्यादा बिकने वाली एंटी-फीवर और एनालजेसिक टैबलेट्स में दूसरे स्थान पर रही. 2021 में इस दवा का कुल टर्नओवर 307 करोड़ रुपये का रहा. क्रोसिन (Crocin) 23.6 करोड़ रुपये मूल्य की बिक्री के साथ इस मामले में छठे स्थान पर रही.
वर्ष 1973 में G.C. Surana द्वारा स्थापित कंपनी Micro Labs Ltd (माइक्रो लैब्स लिमिटेड) 650 मिलिग्राम पैरासिटामोल के साथ Dolo 650 का प्रोडक्शन करती है. अन्य कंपनियां 500 मिलिग्राम के पैरासिटामोल के साथ अपने प्रोडक्ट लाती है. फॉर्मा कंपनियां क्रोसिन, डोलो या कालपोल नाम से अपने कॉपीराइट के साथ पैरासिटामोल की बिक्री करती हैं. हालांकि, इससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि डोलो की बिक्री क्यों ज्यादा होती है. एक्सपर्ट्स का नाम है कि स्ट्रेटफॉरवर्ड नाम डोलो की सफलता की एक वजह है. दूसरी वजह यह है कि Dolo 650 mg के Paracetamol के साथ आता है और इस वजह से यह बुखार के खिलाफ ज्यादा इफेक्टिव साबित होता है.
कंपनी में करीब 9,200 कर्मचारी काम करते हैं. 920 करोड़ रुपये के एक्सपोर्ट के साथ इस कंपनी का कुल टर्नओवर 2,700 करोड़ रुपये के आसपास बैठता है.
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