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इनकार नहीं कर सकती है. यानी अब ड्राइविंग लाइसेंस असली हो या नकली, क्लेम किया जा सकेगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गाड़ी चलाने वालों के लिए जरूरी खबर है. ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) को लेकर एक बड़ा फैसला हुआ है. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court) ने एक बड़ा फैसला लेते हुये कहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस (DL) नकली होने के आधार पर बीमा कंपनियां क्लेम (Insurance Claim) देने से इनकार नहीं कर सकती है. यानी अब ड्राइविंग लाइसेंस असली हो या नकली, क्लेम किया जा सकेगा.
कोर्ट ने दिया फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court) ने मोटर दुर्घटना से संबंधित एक मामले के निबटारे में कहा, 'ड्राइविंग लाइसेंस नकली होने के आधार पर बीमा कंपनी देय देने से बच नहीं सकती. इसके लिए बीमा कंपनी का ये तर्क देना की ड्राइविंग लाइसेंस नकली था, स्वीकार नहीं होगा.' दरअसल, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने एक केस के मामले में कोर्ट में दलील थी कि गाड़ी की दुर्घटना चालक की लापरवाही से हुई थी और उस गाड़ी का मालिकाना भी बीमाधारक के पास था. कंपनी ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया था कि दुर्घटना के वक्त चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था.
जानिए क्या था पूरा मामला
गौरतलब है कि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने एक मोटर दुर्घटना मामले में, मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण गाजियाबाद के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें प्राधिकरण ने मरने वाले व्यक्ति को 6 प्रतिशत ब्याज के साथ 12 लाख 70 हजार 406 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया था. जबकि, याचिकाकर्ता (नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड) बीमा कंपनी का यह दावा था कि यह रिकॉर्ड में है कि दुर्घटना ट्रक चालक की लापरवाही से हुई थी.
गौरतलब है कि इस मामले में ट्रक का मालिकाना बीमाधारक के पास था. याचिका में यह तर्क दिया गया कि दुर्घटना के समय चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था. लेकिन, कोर्ट ने बीमा कंपनी के तर्कों पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि बीमाधारक ने लाइसेंस की वास्तविकता या अन्यथा सत्यापित करने के लिए उचित और पर्याप्त सावधानी नहीं बरती तब भी दायित्व का विकल्प मौजूद होगा. इतना ही नहीं, कोर्ट ने इसके लिए पूछा था कि बीमा कंपनी बीमा देते वक्त ड्राइविंग लाइसेंस की जांच क्यों नहीं करवाया गया?
फर्जी ड्राइविंग होने पर भी मिलेगा बीमा क्लेम!
इसके बाद नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट गई थी. हाईकोर्ट ने भी फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, 'नियोक्ता से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह जारीकर्ता प्राधिकरण से ड्राइविंग लाइसेंस की वास्तविकता सत्यापित करे?' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम लेहरू और अन्य में 2003 में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुये अपना फैसला सुनाया.
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