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लखनऊ (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के सामने मौसमी परिवर्तन के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने और उन तक सरकारी अनुदान, योजनाएं व स्कीमों का लाभ पहुंचाने के लिए डिजिटल क्रॉप सर्वे करा रही है। साथ ही एग्री स्टेक (डिजिटल एग्रीकल्चर पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर) डिजिटल क्रॉप सर्वे की पड़ताल जनपद एवं तहसील स्तर के चयनित मास्टर ट्रेनर से कराएगी। इसके लिये उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत कर दी गयी है।
यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे में मास्टर ट्रेनर्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रॉप सर्वे किसानों के जीवन में खुशहाली की नई राह खोलेगा। डिजिटल क्रॉप सर्वे के माध्यम से फसलों के जो आंकडे़ प्राप्त होंगे, उससे प्रदेश के किसानों के लिए योजना बनाने में बहुत सुविधा प्राप्त होगी। इन आंकड़ों के आधार पर किसानों के लिए आवश्यक और उपयोगी योजनाओं को तैयार किया जा सकेगा, जो किसानों के लिए लाभकारी होगा।
इसके अलावा डिजिटल क्रॉप सर्वे के माध्यम से प्राप्त होने वाले आंकड़ों से जहां एक और किसानों को लाभ प्राप्त होगा। वहीं सरकार और उपभोक्ता सभी इससे लाभान्वित होंगे।
मालूम हो कि देश के 12 राज्य, जहां डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य पायलट बेस पर किया जा रहा है, उसमें उत्तर प्रदेश को भी चुना गया है। कार्यक्रम में एग्री स्टेक के महत्व को समझाते हुए इससे होने वाले लाभ को बताया गया।एग्री स्टेक एक डिजिटल फाउंडेशन है जो भारत में कृषि में सुधार के लिए विभिन्न हितधारकों को आसानी से एक साथ लाने और डेटा-डिजिटल सेवाओं का उपयोग करके किसानों के लिए बेहतर योजनाओं का नियोजन, सेवाओं तक किसानों की सुगम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा स्थापित किया जा रहा।
एग्री स्टेक का निर्माण कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राज्य के साथ मिलकर किया जा रहा है।
जानकारों ने बताया कि एग्री स्टेक का उद्देश्य किसानों के लिए सस्ता ऋण, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट स्थानीयकृत और विशिष्ट लक्षित सलाह और बाजारों तक सुविधाजनक पहुंच प्राप्त करना आसान बनाना है। विभिन्न हितधारकों द्वारा विभिन्न किसान और कृषि केंद्रित लाभदायी योजनाओं की योजना बनाना और उन्हें लागू करने की प्रक्रिया को आसान बनाना है। एग्री स्टेक की स्थापना के प्रारंभिक चरण में तीन बुनियादी रजिस्ट्री अभिलेखों के डायनेमिक लिंकिंग के साथ किसानों का डेटाबेस (फार्मर रजिस्ट्री), भू संदर्भित ग्राम मानचित्र (जिओ रेफरेन्स विलेज मैप), जीआईएस बेस रियल टाइम क्रॉप सर्वे क्रॉप सोन रजिस्ट्री शामिल हैं।
किसानों को उनके खेत में बोई गई वास्तविक फसल के उत्पाद की बिक्री के लिये अपने अभिलेख का सत्यापन कराने से मुक्ति मिल जाएगी। इससे किसान के फसल के उत्पाद के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादन का खरीद में सरलीकरण हो जायेगा। फसल नुकसान की स्थिति में किसान को वास्तविक क्षति का मुआवजा प्राप्ति में सरलीकरण हो जाएगा।
समय-समय पर किसानों को उनके फसल विशेष के लिये लक्षित फसल सलाह प्रदान की जा सकेगी। बोई गई फसल के वास्तविक उपज के आंकलन के लिये मोबाइल एप के माध्यम से क्रॉप कटाई एक्सपेरिमेंट (सीसीई) का प्रभावी क्रियान्वयन संभव हो सकेगा। आपदा के दौरान फसल नुकसान होने पर राहत/अनुदान का समयबद्ध सर्वेक्षण तथा राहत वितरण संभव हो सकेगा।
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