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डायल करें *#07# और तुरंत जानें अपने फोन का रेडिएशन लेवल

Gulabi
24 Feb 2021 12:55 PM GMT
डायल करें *#07# और तुरंत जानें अपने फोन का रेडिएशन लेवल
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आपको वैरिएबल और कांस्टेंट का फंडा तो पता होगा

आपको वैरिएबल और कांस्टेंट का फंडा तो पता होगा. मैथ की बेसिक चीज है. इसे लोगों की जिंदगी से कनेक्ट किया जाए तो आपका स्मार्टफोन कांस्टेंट है और बाकी के काम वैरिएबल. जैसे कि आप खाना खा रहे हैं, मूवी देख रहे हैं, चाय पी रहे हैं या कुछ और आपके एक हाथ में फोन जरुर होता है. कुल मिलाकर आप एडिक्ट हो चुके हैं. जिस फोन को आपने अपनी डेली रुटीन में कांस्टेंट बना लिया है, वो फोन बिना म्यान की तलवार रखने से कम नहीं है.


एक रिपोर्ट के मुताबिक मानव शरीर के लिए 0.60 वाट/किलोग्राम से ज्यादा का रेडिएशन खतरनाक होता है लेकिन हम जो स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं उनसे निकल रहा रेडिएशन इसका दोगुना या इससे भी ज्यादा है. रेडिएशन का असर इतना भयानक होता है कि लोगों में कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं, इसके अलावा मेल फर्टिलाइजेशन में भी कमी आ रही है. डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार फोन का ज्यादा इस्तेमाल दिमागी सेल्स को कमजोर बनाता है.

स्पेसिफिक अब्सोर्पशन रेट से जानें रेडिएशन लेवल
जब आप फोन खरीदने जाते हैं तो फोन की रैम साइज, कैमरा, बैटरी बैक-अप, इन्टरनल मेमोरी हर चीज परखते हैं. जो बहुत जरूरी है मगर आप भूल जाते हैं या शायद आपको पता नहीं है, वो है SAR (स्पेसिफिक अब्सोर्पशन रेट) वैल्यू. SAR वैल्यू फोन के बॉक्स में ही लिखी होती है, जो बताती है, कि फोन का रेडिएशन कितना है. ये भी कहा जाता है कि फोन पर *#07# टाइप करने से SAR वैल्यू का पता चलता है. हालांकि कई बार स्क्रीन पर जो आंकड़े दिखाई देते हैं, उनके गलत होने के चांस रहते हैं.

मोबाइल रेडिएशन को कैसे कम कर सकते हैं?
अब रेडिएशन वगैरह तो ठीक है, मगर जो फोन की लत है सो है. आज के जमाने में फोन बिना कुछ होता भी तो नहीं है. तो भईया फोन छोड़ नहीं सकते लेकिन इसका इस्तेमाल कम तो कर सकते हैं ना. फोन पर लंबे समय तक बातचीत के लिए हेडफोन लगा सकते हैं, अच्छे फोन कवर का इस्तेमाल कर सकते हैं, कुछ नहीं तो फोन खरीदते वक्त SAR जांच सकते हैं.

लोग अक्सर फोन को पैंट की जेब में रखकर घूमते हैं, जिससे निकलने वाला रेडिएशन लोगों की फर्टिलिटी को कम करता है, ऐसा करने से बचें. बेहतर होगा कि आप अच्छे मोबाइल केस का इस्तेमाल करें और जब भी पॉसिबल हो फोन को डेस्क पर ही छोड़ दें. आप फोन को पर्स में भी रख सकते हैं.
जो लोग लंबे समय तक फोन पर बात करते रहते हैं, उनके लिए हेडफोन जरूरी है. रेडिएशन का असर दिमागी सेल्स पर भी पड़ता है. हालांकि ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल भी खतरे से खाली नहीं है, थोड़ा बहुत रेडिएशन इसमें भी होता है. सबसे सही तरीका है कि आप फोन को स्पीकर में रखकर बात करें.
जब कभी नेटवर्क प्रॉब्लम होती है, लोग ऊंचाई पर जाकर सिग्नल तलाशते हैं और फोन मिला देते हैं. कई लोग तो नेटवर्क ढूंढते हुए मोबाइल टावर के पास पहुंच जाते हैं. लेकिन ये सबसे खतरनाक होता है. वीक सिग्नल के दौरान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन सबसे ज्यादा होता है. खासकर जब आप बेसमेंट या लिफ्ट जैसी जगहों पर हों तो फोन कॉल करने से बचें.
दिनभर में ज्यादातर समय तो आप फोन के साथ चिपके ही रहते हैं, लेकिन कम से कम सोते वक्त आप फोन को स्विच ऑफ कर कर दें. घर में अगर राउटर लगा रखा है तो इसे भी रात में बंद कर दें, साथ ही राउटर को ऐसी जगह लगाएं, जहां कम से कम आना-जाना हो.
कई बार आप फोन में मल्टी-टास्किंग कर रहे होते हैं या गेम खेल रहे होते हैं या फिर लो बैटरी में भी लगातार फोन चला रहे होते हैं. इन तमाम चीजों से बचें. एक चीज और चार्जिंग के दौरान भी फोन पर काम न करें.


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