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Devas Multimedia
Cairn Energy की तर्ज पर Devas Multimedia भी आगे बढ़ चला है. उसने भी एयर इंडिया की विदेशी संपत्ति की पहचान शुरू कर दी है. सरकार से उसे भी 1.2 अरब डॉलर चाहिए क्योंकि इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था. इससे पहले ब्रिटिश एनर्जी कंपनी Cairn Energy मुश्किलें खड़ी कर रहा है. रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में उसे जीत मिली. सरकार ने अभी तक रकम नहीं लौटाया है. ऐसे में अपने पैसे के लिए वह सरकारी कंपनियों की विदेशी संपत्तियों को निशाना बना रहा है.
Devas Multimedia ने कहा कि एयर इंडिया सरकारी एयरलाइन है इसलिए सरकार के ऊपर की किसी भी देनदारी के लिए वह जिम्मेदार है. देवास मल्टीमीडिया ने न्यूयॉर्क के कोर्ट में मामला दर्ज किया है और एयर इंडिया से अपने पैसे लौटाने को कहा है. पैसे नहीं लौटाने पर कंपनी ने एयरलाइन की अमेरी प्रॉपर्टी जिसमें प्लेन, कार्गो, इक्विपमेंट्स, आर्टवर्क, शामिल है उसे सीज करने की धमकी दी है. एयर इंडिया की संपत्ति सीज करने की लगातार मिल रही धमकी से इसके निजीकरण में परेशानी हो सकती है.
2020 में भारत सरकार को लगा दो बड़ा झटका
साल 2020 में भारत को इंटरनेशनल कोर्ट में दो बड़ा झटका लगा. 3 बिलियन डॉलर का टैक्स विवाद वोडाफोन के साथ और 1.2 बिलियन डॉलर का टैक्स विवाद केयर्न एनर्जी के साथ है. भारत सरकार ने दोनों मामलों को चैलेंज किया है. केयर्न द्वारा सरकारी कंपनियों की विदेशी संपत्ति सीज करने की धमकी के बाद मई के महीने में वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों से कहा कि वे अपने डॉलर डिपॉजिट को सुरक्षित कर लें.
विश्व के कई कोर्ट में जारी है यह मामला
देवास मल्टीमीडिया और भारत सरकार के बीच का मामला विश्व के कई कोर्ट में जारी हैं. देवास मल्टीमीडिया चाहता है कि उसे इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन के फैसले के तहत सरकार से पैसे मिल जाए. सरकार चाहती है कि कंपनी का लिक्विडेशन किया जाए फिर उसके खिलाफ फ्रॉड के तहत जांच और कार्रवाई की जाएगी.
जानिए क्या है Devas Multimedia के साथ विवाद
सरकार और देवास मल्टीमीडिया का मामला लगभग 10 वर्ष पुराना (2011 से चल रहा है विवाद) है जब सरकारी कंपनी एंट्रिक्स कॉर्प ने देवास मल्टीमीडिया के साथ एक एग्रीमेंट को रद्द कर दिया था. देवास मल्टीमीडिया ने अपनी याचिका में कहा था कि इससे उसके लाखों डॉलर के इनवेस्टमेंट को नुकसान हुआ है. इस मामले में इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ने 2020 में देवास के पक्ष में फैसला सुनाया था. सरकार से उसे 111 मिलिन डॉलर और इंट्रेस्ट का भुगतान करने को कहा गया है. इसके अलावा इंटरनेशनल चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने भी उसे अलग से 562.5 मिलियन डॉलर और इंट्रेस्ट देने का फैसला सुनाया है.
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