व्यापार

पाबंदी के बावजूद तेलंगाना में धान का रकबा पहुंच गया है 31 लाख एकड़

Teja
18 Feb 2022 11:08 AM GMT
पाबंदी के बावजूद तेलंगाना में धान का रकबा पहुंच गया है 31 लाख एकड़
x
तेलंगाना (Telangana) के किसानों (Farmers) का धान (Paddy) से मोहभंग नहीं हो रहा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | तेलंगाना (Telangana) के किसानों (Farmers) का धान (Paddy) से मोहभंग नहीं हो रहा है. पाबंदी के बावजूद रबी सीजन में जमकर धान की खेती हुई है. हालांकि पिछले साल के मुकाबले रकबा घटा है, लेकिन सरकार को जितनी उम्मीद थी, उतनी गिरावट नहीं आई है. इस बार किसानों ने उबले चावल की किस्मों के साथ ही अच्छी गुणवत्ता वाली सामान्य किस्मों की भी खेती की है. केंद्र सरकार ने पिछले साल स्पष्ट कर दिया था कि वह रबी सीजन में उगाए गए उबले चावल का खरीद नहीं करेगी. इसके बाद राज्य सरकार ने किसानों से अपील की थी कि वे धान की जगह अन्य फसलों की खेती करें.

केंद्र सरकार के फैसले और राज्य सरकार की अपील के बाद किसानों में नाराजगी थी. तेलंगाना सरकार ने सख्ती भी दिखाई. बावजूद इसके रबी सीजन धान का रकबा 31 लाख एकड़ तक पहुंच गया है. यह अपने आप में आश्चर्यचकित करने वाला है, क्योंकि सरकार को उम्मीद थी कि धान का रकबा इस बार घट कर 15 से 20 लाख एकड़ रह जाएगा. हालांकि यह पिछले साल के 49 लाख एकड़ रकबे से 36 फीसदी कम है.
किसानों के लिए धान एक सुरक्षित विकल्प
राज्य सरकार को धान के रकबे में पर्याप्त गिरावट की उम्मीद थी. लेकिन ताजा आंकड़ों के मुताबिक 31 लाख एकड़ में धान बोया गया है, जो सीजन के लिए सामान्य है. अगले कुछ दिनों में बुवाई का मौसम समाप्त होने से पहले रकबे में कुछ और बढ़ोतरी की उम्मीद है.
पाबंदी के बावजूद किसानों ने धान की खेती क्यों की? इस सवाल के जवाब में बिजनेस लाइन से बात करते हुए दक्षिण भारत मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष टी देवेंद्र रेड्डी ने कहा कि धान हमेशा किसानों के लिए एक सुरक्षित विकल्प रहा है. यह एकमात्र फसल है जो एक सुनिश्चित आय प्रदान करती है. हालांकि उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को उन किस्मों की खेती पर जोर देना चाहिए, जिनकी बाजार में मांग है. उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद पर निर्भरता खत्म होनी चाहिए.
वहीं एक कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि धान किसान के लिए दूसरी फसलों की ओर शिफ्ट होना बहुत आसान नहीं होता है. धान के लिए तैयार खेत अन्य फसलों के लिए तुरंत उपयुक्त नहीं होते हैं. इसमें 2-3 साल का वक्त लगता है.
कैसे शुरू हुआ था यह मुद्दा?
पिछले साल केंद्र ने कहा कि वह रबी सीजन के दौरान उबले हुए चावल की खरीद नहीं कर पाएगा क्योंकि उसके पास लगभग 3-4 साल का स्टॉक है. साथ ही, तेलंगाना में उबले हुए चावल का सेवन नहीं किया जाता है और इस किस्म का उपभोग करने वाले राज्यों की अपनी व्यवस्था है. इसके अलावा राज्य के किसान धान को उबले चावल में परिवर्तित कर दे रहे हैं ताकि मिलिंग के वक्त चावल कम टूटे.
दरअसल, रबी सीजन में बोए गए धान की जब कटाई होती है तो तापमान काफी अधिक रहता है. ऐसे में जब धान की कुटाई होती है तो चावल टूटता है. सरकारी नियमों के तहत एक सीमित मात्रा से अधिक टूटे हुए चावल की खरीद नहीं होती है. इस समस्या से बचने के लिए किसान धान को उबले चावल में परिवर्तित कर दे रहे हैं.


Next Story