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तमाम कोशिशों के बावजूद RBI नहीं कर पाया काबू

Admin4
15 Feb 2023 10:53 AM GMT
तमाम कोशिशों के बावजूद RBI नहीं कर पाया काबू
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नई दिल्ली। नवंबर और दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर (Retail inflation) आरबीआई (RBI) के टोलरेंस बैंड 6 फीसदी के नीचे आ (Tolerance band below 6 percent) गई थी. नवंबर में 5.88 फीसदी (5.88 percent in November) और दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 5.72 फीसदी (Retail inflation in December 5.72 percent) रही थी. लेकिन नए साल 2023 के पहले महीने जनवरी (January) में फिर से खुदरा महंगाई दर बेकाबू हो गई और 6.52 फीसदी (6.52 percent) पर जा पहुंची जो आरबीआई के टोलरेंस बैंड 6 फीसदी से कहीं ज्यादा है. तो बड़ा सवाल उठता है कि क्या आरबीआई महंगाई पर काबू पाने में विफल हो गया है?
आरबीआई ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए बीते 9 महीने में 6 बार पॉलिसी रेट्स में बदलाव करते हुए रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी। इसके बावजूद महंगाई पर काबू पाया नहीं जा सका है। इसके चलते इतना जरुर है कि लोगों की ईएमआई महंगी हो गई है। हालांकि आर्थिक मामलों के जानकार और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड (IIFT) के डायरेक्टर प्रोफेसर मनोज पंत का मानना है कि महंगाई में बढ़ोतरी पर काबू नहीं पाये जाने की जिम्मेदारी आरबीआई पर डालना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में जो महंगाई है वो वस्तुओं की सप्लाई में दिक्कतों के चलते आई है. खाद्य-सामग्रियों के अलावा महंगे दूध के चलते महंगाई बढ़ी है।
अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.80 फीसदी पर जा पहुंची. 4 मई 2022 को आरबीआई ने पॉलिसी रेट्स में बदलाव करते हुए रेपो रेट में बढ़ोतरी की। दलील ये दी गई कि इससे महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा, लेकिन महंगाई लगातार 7 फीसदी के ऊपर बनी रही. आरबीआई ने इसके बाद से हर मॉनिटरी पॉलिसी बैठक में रेपो रेट बढ़ाया. 4 मई 2022 से पहले रेपो रेट 4 फीसदी हुआ करता था जो अब 6.50 फीसदी है. 8 फरवरी 2023 को आरबीआई ने रेपो रेट में एक चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी की थी। उसके चार दिनों के बाद ही जनवरी 2023 में खुदरा महंगाई दर फिर से साढ़े छह फीसदी के पार 6.52 फीसदी पर जा पहुंची है।
प्रोफेसर मनोज पंत का कहना है कि ब्याज दरें बढ़ाने से महंगाई कम नहीं होगी। आरबीआई को यहां से ब्याज दरें बढ़ाने के बारे में कतई नहीं सोचना चाहिए, वर्ना इससे कारोबार को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि ये महंगाई खाद्य सामग्रियों की है जो आरबीआई के ब्याज दरें बढ़ाने से काबू में नहीं आने वाली है। महंगाई इस साल के आखिर, सर्दी के मौसम तक रह सकती है।
आरबीआई की अगली मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में होगी. 3, 5 और 6 अप्रैल को एमपीसी की बैठक होगी। खुदरा महंगाई दर के आंकड़े में बढ़ोतरी के बाद फिर से महंगे कर्ज का डर सताने लगा है। सवाल उठता है कि रेपो रेट में क्या और बढ़ोतरी होगी. इस पर प्रोफेसर मनोज पंत ने कहा कि आरबीआई को यहां से ब्याज दरें बढ़ाने के बारे में कतई नहीं सोचना चाहिए. बल्कि उन्होंने आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ इंग्लैंड के ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद विदेशी पूंजी को बाहर जाने से रोकने के लिए आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थ खासतौर से डीजल सस्ता हो जाए तो महंगाई काबू में आ सकती है. पर ब्याज दरें बढ़ाने से महंगाई काबू में आने वाली नहीं है।
8 फरवरी को आरबीआई गवर्नर ने जब पॉलिसी स्टेटमेंट पढ़ा तब उन्होंने कहा था कि सब्जियों को छोड़ दें तो कोर इंफ्लेशन यानि खाद्य और ईंधन के अलावा दूसरी चीजों की महंगाई बनी हुई है जो कि चुनौती बढ़ाने का काम कर रही है. शनिवार 12 फरवरी को आरबीआई की बोर्ड मीटिंग के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2023-24 में खुदरा महंगाई दर 5.3 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान है. और अगर कच्चे तेल के दामों में गिरावट आई तो महंगाई और कम हो सकती है।
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