व्यापार

आर्थिक गतिविधियों में सुधार से मांग में तेजी की उम्मीद

Teja
22 Feb 2022 12:22 PM GMT
आर्थिक गतिविधियों में सुधार से मांग में तेजी की उम्मीद
x
एक तरफ कच्चे तेल की कीमत (Crude Oil Price) आसमान छू रही है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | एक तरफ कच्चे तेल की कीमत (Crude Oil Price) आसमान छू रही है, दूसरी तरफ आर्थिक गतिविधियों (Economic Activity) में सुधार के कारण देश में ईंधन की मांग लगातार बढ़ रही है. ऑयल मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम प्लानिंग एंड ऐनालिसिस सेल (PPAC) की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के साथ देश में ईंधन की मांग एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष 2022-23 में 5.5 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में ईंधन खपत बढ़कर 21.45 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है. मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले मौजूदा वित्त वर्ष में इसके 20.32 करोड़ टन रहने की संभावना है. वित्त वर्ष 2019-20 में देश में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी जैसे ईंधन की खपत 21.41 करोड़ टन थी.

चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 4.9 फीसदी बढ़ी. अप्रैल-दिसंबर 2021 में ईंधन खपत 14.83 करोड़ टन रही. देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत 2020-21 में 19.43 करोड़ टन थी. इस दौरान कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिये 'लॉकडाउन' लगाया गया, जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई.
पेट्रोल की खपत 7.8 फीसदी बढ़ने का अनुमान
पीपीएसी के अनुसार, अगले वित्त वर्ष 2022-23 में पेट्रोल की खपत 7.8 फीसदी बढ़कर 3.33 करोड़ टन रहने का अनुमान है. वहीं डीजल की बिक्री 3.9 फीसदी बढ़कर 7.93 करोड़ टन रहने की संभावना है.
विमान ईंधन 49 फीसदी बढ़ने का अनुमान
विमान ईंधन (Jet fuel) की खपत 2022-23 में 49 फीसदी बढ़कर 76 लाख टन रहने का अनुमान है. हालांकि, यह महामारी-पूर्व स्तर 80 लाख टन से कम है. रसोई गैस (एलपीजी) की मांग अगले वित्त वर्ष में 4.5 फीसदी बढ़कर 2.96 करोड़ टन रहने की संभावना है.
मिट्टी तेल की बिक्री स्थिर रहने का अनुमान
पीपीएसी के मुताबिक, केरोसिन या मिट्टी के तेल की बिक्री 15 लाख टन पर स्थिर रहने जबकि नाफ्था की खपत 3.3 फीसदी बढ़कर 1.5 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है. पेटकोक की मांग 2.8 फीसदी बढ़कर 1.48 करोड़ टन पहुंच जाने की संभावना है. वहीं तारकोल की बिक्री 1.8 फीसदी बढ़कर 79 लाख टन रहने का अनुमान है.
यूक्रेन क्राइसिस से महंगा हो रहा है तेल
जैसा कि हम जानते हैं भारत दुनिया का बड़ा ऑयल इंपोर्टर है. वह अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है. जरूरत का 50 फीसदी गैस भी आयात किया जाता है. रूस-यूक्रेन टेंशन बढ़ने के कारण कच्चे तेल का भाव बढ़ रहा है. कच्चे तेल की कीमतें मंगलवार को 99 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार कर नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. ऑयल मिनिस्ट्री के डेटा के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर 2021 के बीच भारत ने 82.4 अरब डॉलर का ऑयल इंपोर्ट किया. पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले बिल में यह 108 फीसदी का उछाल है. वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच भारत ने 39.6 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया था. वित्त वर्ष 2020-21 का टोटल ऑयल इंपोर्ट बिल महज 62.2 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2019-20 के लिए यह बिल 101.4 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2018-19 के लिए यह बिल 112 बिलियन डॉलर था.

ये


Next Story