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बढ़ गई उड़ानों की लेटलतीफी, जानें कैसे आसमान में ही अटक रही इंडियन एयरलाइंस

HARRY
29 July 2022 5:21 PM GMT
बढ़ गई उड़ानों की लेटलतीफी, जानें कैसे आसमान में ही अटक रही इंडियन एयरलाइंस
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न्यूज़ क्रेडिट: आज तक

एक टाइम वो होता था जब ट्रेनों की लेटलतीफी से बचने और टाइम बचाने के लिए लोग हवाई यात्रा को सबसे बढ़िया विकल्प मानते थे. लेकिन अब लगता है कि 2022 इस पूरे हालात को बदलने आया है. अब फ्लाइट का लेट होना आम बात होती जा रही है. वहीं हालात ऐसे हैं कि विमानों में तकनीकी खराबी हवा में उड़ान के दौरान देखे को मिल रही है. ऐसा लग रहा है जैसे इंडियन एयरलाइंस सेक्टर अब आसमां में नहीं बल्कि जमीन पर रहना चाहता है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? पढ़ें ये एनालिसिस...

बढ़ गई उड़ानों की लेटलतीफी
मौजूदा वक्त में इंडियन एयरलाइंस के समय से उड़ान भरने में तेजी से गिरावट आई है. मार्केट लीडर इंडिगो भी इससे अछूती नहीं रही, जो एक समय में अपनी पंक्चुअलिटी में सबको पछाड़ देती थी. जनवरी 2022 में IndiGo की 93.9 प्रतिशत उड़ानों का संचालन ऑन-टाइम हुआ था. जून 2022 में ये घटकर ये महज 84.5 प्रतिशत रह गया है. अन्यथा पंक्चुअलिटी के मामले में इंडिगो कभी दुनिया की चौथी सबसे शानदार एयरलाइंस होती थी.
इंडिगो की परफॉर्मेंस को लेकर ये बात ऐसे ही नहीं कही गई है, बल्कि 28 जुलाई को जब लोकसभा में इस बाबत सवाल किया गया तो जवाब में ये आंकड़े सामने आए. ऐसा ही हाल बाकी इंडियन एयरलाइंस का भी है. Go First की पंक्चुअलिटी भी अब 94.5% से घटकर 76% पर आ गई है. वहीं SpiceJet का स्तर 87.5% से घटकर 79.4 रह गया है.
हवा के बीच यात्रियों को खतरा
यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो इंडियन एयरलाइंस के हालात अभी और बदतर हो रहे हैं. समस्या यहां तक बढ़ गई है कि उड़ान के बीच में विमानों में दिक्कत आ रही है. हवाई जहाजों की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ रही है. एयरक्राफ्ट के सिस्टम सही से काम नहीं कर रखे हैं. बीते कुछ महीनों में इन सारी दिक्कतों ने एयरलाइंस का जीना मुहाल कर दिया. अगर इस साल अप्रैल से अब तक की स्थिति को देखा जाए तो विमानों में दिक्कत के कम से कम दो मामले हर दिन आए हैं.
नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में 28 जुलाई को अपने जवाब में कहा-पिछले तीन महीने यानी 1 अप्रैल से लेकर 30 जून के बीच कंपोनेंट या सिस्टम में खराबी होने के कुल 150 मामले सामने आए हैं. ये सभी मामले नियमित एयरलाइंस की उड़ानों से जुड़े हैं.
गौरतलब है कि भारत में 692 उड़ानों का संचालन होता है. इसमें से 283 उड़ानें इंडिगो और 116 एअर इंडिया की हैं. वहीं यात्रियों की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो इंडिगो इस मामले में मार्केट लीडर है और उसके पास 55% हिस्सेदारी है. वहीं स्पाइसजेट के पास 13.3% मार्केट शेयर और एअर इंडिया के पास 9% बाजार हिस्सेदारी है.
वित्त की समस्या से जूझ रही एयरलाइंस
इंडियन एयरलाइंस इंडस्ट्री सिर्फ ऑपरेशन से जुड़ी परेशानियों से नहीं जूझ रही है. बल्कि एविएशन उद्योग फाइनेंशियल स्ट्रेस में भी है. कोरोना महामारी शुरू होने से पहले ही वित्त वर्ष 2019-20 में देश की 5 प्रमुख एयरलाइंस में से 4 को ऑपरेशनल लॉस हो रहा था. कोरोना और लॉकडाउन ने इसे और व्यापक बनाया. वित्त वर्ष 2020-21 में एयरलाइंस कंपनियों की हालत और बुरी हो गई.
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