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CPAI यानी कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा है कि सरकार को व्यापार के आकार को बढ़ावा देने के लिए जिंस लेनदेन कर (सीटीटी) को खत्म करने का विचार करना चाहिए.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CPAI) ने कहा है कि सरकार को व्यापार के साइज को बढ़ावा देने के लिए जिंस लेनदेन कर (CTT) को समाप्त करने पर विचार करना चाहिए. वित्त मंत्रालय को अपने बजट प्रस्ताव में CPAI ने सरकार से सीटीटी पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है.
'सीटीटी को हटाना ही सबसे आसान तरीका'
एसोसिएशन ने कहा, 'कम संग्रह को देखते हुए, सीटीटी को हटाना ही सबसे आसान तरीका है.' आपको बता दें कि साल 2013 में सीटीटी की शुरुआत के बाद से जिंस बाजारों में कारोबार की मात्रा में 60% की कमी आई है, जबकि सरकार ने रिवेन्यू के रूप में केवल 667 करोड़ रुपये किए हैं.
क्या कहता है नियम?
गौरतलब है कि एसोसिएशन का कहना है कि अगर सरकार CTT को बनाए रखना चाहती है तो सीटीटी को भुगतान किए गए टैक्स के रूप में माना जाए, ना कि एक खर्च के रूप में. यह डबल टैक्सेशन की वसूली के नियम में सुधार लाएगा.
CTT को खत्म करने का विचार
CPAI के मुताबिक सरकार को व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (CTT) को खत्म करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि इससे बहुत कम राजस्व मिला है. साथ ही इसने राष्ट्रीय बाजार के व्यापार की मात्रा को 60% घटा दिया है. इसके अलावा सीटीटी ने नकदी, मात्रा और नौकरियों को देश से बाहर जाने के लिए 'प्रोत्साहित' किया है.
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