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कोर्ट ने कहा कि बैंकों के मुकाबले होमबायर्स को मिले प्राथमिकता

Teja
15 Feb 2022 6:39 AM GMT
कोर्ट ने कहा कि बैंकों के मुकाबले होमबायर्स को मिले प्राथमिकता
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अगर कोई रियल एस्टेट (Real Estate) कंपनी डिफॉल्ट होती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अगर कोई रियल एस्टेट (Real Estate) कंपनी डिफॉल्ट होती है तो होमबायर्स (Homebuyers) को बैंकों के मुकाबले प्राथमिकता मिलनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अगर रियल एस्टेट कंपनी बैंक का कर्ज नहीं चुका पा रही है और होमबायर्स को पोजेशन भी नहीं दे रही है तो इन मामलों में घर खरीदारों को तवज्जो मिलनी चाहिए. कोर्ट के इस फैसले से लाखों होमबायर्स को राहत मिली है. सरकार ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड में होमबायर्स को कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स का हिस्सा बना दिया है. कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स डिफॉल्टेड कंपनी के भविष्य के बारे में फैसला करता है. हालांकि, लिक्विडेशन के मामले में अभी तक उन्हें वरीयत नहीं दी गई थी. इसके कारण बिल्डर के डिफॉल्ट होने पर उनका सबकुछ लुट जाता था. कोर्ट के फैसले के बाद अब होमबायर्स को लिक्विडेशन में भी वरीयता मिल गई है.

जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागारत्न की बेंच यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अपील पर सुनवाई कर रही थी. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि अगर कोई रियल एस्टेट कंपनी डिफॉल्ट करती है और सिक्यॉर्ड क्रेडिटर के नाते बैंक उस प्रॉपर्टी का पोजेशन ले लेता है तो बिल्डर या प्रमोटर इसकी शिकायत RERA से कर सकता है. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ यूनियन बैंक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसे खारिज कर दिया गया.
बैंक RERA कानून के दायरे में नहीं आते हैं
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि RERA कानून के दायरे में बैंक नहीं आते हैं, क्योंकि वे इसके प्रमोटर्स नहीं हैं. ऐसे में अगर बैंक अपने तरीके से लोन रिकवरी करता है तो रेरा को दखल देने का हक नहीं है. जब एक रियल एस्टेट कंपनी समय पर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाती है और लोन रीपेमेंट में डिफॉल्ट भी करती है तो होमबायर्स और बैंकों के बीच हमेशा क्लैश देखने को मिलता है. ऐसी घटनाओं के बाद बैंक और होमबायर्स दोनों कोर्ट का सहारा लेते हैं.
बैंक के पास लोन रिकवरी के कई विकल्प
बैंक की बात करें तो लोन रिकवरी के लिए उसके पास कई इंस्ट्रूमेंट्स हैं. इसमें IBC यानी इन्सॉल्वेंसी एक्ट और SARFAESI (सिक्यॉरिटाइजेशन एंड री-कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल असेट एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यॉरिटी इंट्रेस्ट एक्ट) जैसे कानून शामिल हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई बैंक प्रमोटर के डिफॉल्ट करने पर किसी प्रोजेक्ट का पोजेशन अपने पास ले लेता है तो प्रमोटर इसकी शिकायत RERA से कर सकते हैं.


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