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चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद: रिपोर्ट
jantaserishta.com
11 Jan 2025 12:14 PM GMT
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नई दिल्ली: बैंक ऑफ बड़ौदा की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, सेवा क्षेत्र की गतिविधियों, हवाई यात्रियों की संख्या, बढ़ते टोल और जीएसटी कलेक्शन जैसे सकारात्मक सूचकांकों के साथ चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में देश की विकास दर बढ़ने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 1.4 प्रतिशत थी। अब तक, रबी की बुवाई पिछले साल की तुलना में अधिक रही है और यह कृषि विकास के लिए अच्छा संकेत है।
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में जीएसटी कलेक्शन में भी 8.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो उपभोग मांग में तेजी का संकेत है। रिपोर्ट के अनुसार, कृषि की बेहतर संभावनाओं से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा, जबकि शहरी मांग में भी सुधार के संकेत मिलते हैं। दिसंबर 2024 में मुद्रास्फीति में कमी आई और आने वाले महीनों में इसमें और कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, रुपये का अवमूल्यन एक प्रमुख जोखिम है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तहत अमेरिकी नीतियों पर अधिक स्पष्टता होने तक वैश्विक और घरेलू फाइनेंशियल सिस्टम में कुछ हद तक अनिश्चितता बनी रहने की संभावना है। हम 2025 में भारत की विकास संभावनाओं को लेकर आशावादी बने हुए हैं।" कुछ हाई फ्रिक्वेंसी सूचकांकों ने डिजिटल पेमेंट, बिजली की मांग, इलेक्ट्रॉनिक आयात और फर्टिलाइजर बिक्री में वृद्धि के साथ मांग में तेजी का संकेत दिया है।
हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि त्योहारों के बाद की इन्वेंट्री और सीमित नए लॉन्च के कारण यात्री वाहनों की कुल बिक्री कम रही। ग्रामीण फ्रंट पर, नकदी प्रवाह के मुद्दों और ईवी बाजार की ओर रुख के कारण दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी भारी गिरावट देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, निजी खपत वृद्धि वित्त वर्ष 2023-24 के चार प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 2024-25 में 7.3 प्रतिशत रहेगी, जिससे आने वाले महीनों में स्थिर वृद्धि की संभावना बढ़ गई है।
इसमें यह भी बताया गया है कि नवंबर 2024 तक (12 मनी मार्केट अकाउंट के आधार पर) केंद्र का राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत पर स्थिर था। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर 2024 तक कुल व्यय में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो अक्टूबर 2024 में भी उसी स्तर पर थी। राजस्व व्यय की वृद्धि अक्टूबर 2024 तक 8.7 प्रतिशत थी जो नवंबर 2024 तक के आंकड़े में घटकर 7.8 प्रतिशत रह गई। वहीं, इस दौरान पूंजीगत व्यय की गिरावट की दर कम हुई।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि आय के मामले में, नवंबर 2024 तक केंद्र की शुद्ध राजस्व वृद्धि भी 8.7 प्रतिशत पर स्थिर रही। प्रत्यक्ष कर संग्रह में सुधार हुआ (11.1 प्रतिशत के मुकाबले 12.1 प्रतिशत), जबकि अप्रत्यक्ष कर संग्रह की वृद्धि थोड़ी धीमी हुई (10.5 प्रतिशत के मुकाबले 9.2 प्रतिशत) जबकि गैर-कर संग्रह स्थिर रहा।
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