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रातभर सो नहीं पाया...', सुपरटेक के चेयरमैन ने बताई वो छोटी सी गलती जिसके चलते ध्‍वस्‍त हुए ट्विन टावर

Kajal Dubey
1 Sep 2022 5:51 PM GMT
रातभर सो नहीं पाया..., सुपरटेक के चेयरमैन ने बताई वो छोटी सी गलती जिसके चलते ध्‍वस्‍त हुए ट्विन टावर
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नोएडा (New Okhla Industrial Development Authority) में बने सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech twin tower) ध्‍वस्‍त हो चुके
नोएडा (New Okhla Industrial Development Authority) में बने सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech twin tower) ध्‍वस्‍त हो चुके हैं। बड़ी संख्‍या में लोग इस बात से खुश हैं। वो इसे बेईमानी और भ्रष्‍टाचार के टावर के तौर पर देख रहे थे। हालांकि, सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा (RK Arora) बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि इसे बनाने में कंपनी ने किसी तरह की धांधली नहीं की है। नोएडा विकास प्राधिकरण के नियमों के अनुसार ही इस प्रोजेक्‍ट की मंजूरी ली गई। उसी के कायदे-कानून के तहत इसे बनाया गया। सवाल यह है कि जब सबकुछ लीगल ही था तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इसे जमींदोज करने का आदेश क्‍यों दे दिया? आरके अरोड़ा ने इसका भी कारण बताया है। उन्‍होंने उस छोटी सी गलती के बारे में बताया है जिसके चलते ट्विन टावर धुआं कर दिए गए। ज‍िस द‍िन इन टावरों को ढहाया गया, उस रात अरोड़ा सो तक नहींं पाए।

एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में सुपरटेक के चेयरमैन (Supertech Chairmen) ने उस गलती का जिक्र किया है। उन्‍होंने बताया कि सब कुछ नियमों के अनुसार ही हुआ था। इस बात में कोई शक-शुबा नहीं था कि ट्विन टावर एमराल्‍ड कोर्ट से अलग कहीं बनेंगे। यह और बात है कि टावरों की ऊंचाई 40 मंजिल तब बढ़ाने की मंजूरी बाद में ली गई। पूरे कंस्‍ट्रक्‍शन में सभी नियमों का पालन किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने टावर को जमींदोज करने का फैसला सिर्फ एक छोटी सी गलती के कारण दिया। वह गलती यह थी कि ऊंचाई बढ़ाने से पूर्व वहां मौजूद 15 टावर के लोगों से मंजूरी नहीं ली गई थी। अरोड़ा ने दावा किया कि इसमें भी कंपनी की गलती नहीं थी। यह अनुमति प्राधिकरण को लेनी थी।

सुपरटेक के चेयरमैन दोहराते आए हैं कि इसमें उनसे किसी भी तरह की गलती नहीं हुई है। रविवार को ट्विन टावर गिराए जाने से पहले भी उन्‍होंने कहा था कि सुपरटेक ने प्राधिकरण की तरफ से स्वीकृत भवन योजना के अनुरूप ही इनका निर्माण किया था। इसमें कंपनी ने कोई गड़बड़ी नहीं की थी। इसमें उन्‍होंने पूरे प्रोजेक्‍ट में हुए नुकसान का भी जिक्र किया था। उन्‍होंने बताया था कि इसमें कंपनी को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। इस खर्च में निर्माण पर आई लागत और कर्ज पर देय ब्याज शामिल है। एडिफिस इंजीनियरिंग नाम की जिस कंपनी ने ये टावर गिराए हैं उसे भी सुपरटेक ने 17.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
न्यूज़ क्रेडिट : खुलासा इन
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