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थोक मूल्य सूचकांक में आई कर्मी का उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगा लाभ: विशेषज्ञ
jantaserishta.com
14 Nov 2022 10:00 AM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| भारत की थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) अक्टूबर में मार्च 2021 के बाद सबसे निचले स्तर 8.39 प्रतिशत पर आ गई है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इसका लाभ आम आदमी को मिलना मुश्किल है। मुद्रास्फीति में आई कमी का मुख्य कारण कमोडिटी की कीमतों में गिरावट को माना जा रहा है।
यह भी पहली बार था कि थोक मुद्रास्फीति 18 महीनों में दो अंकों के निशान से नीचे गिर गई।
मई 2022 में यह 15.88 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। अक्टूबर 2021 में यह 13.83 प्रतिशत थी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, अक्टूबर 2022 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातु, गढ़े हुए धातु उत्पाद, मशीनरी व उपकरण, कपड़ा, अन्य गैर-धात्विक खनिज उत्पाद, खनिज आदि की कीमतों में गिरावट के कारण आई है।
प्राथमिक वस्तुओं में मुद्रास्फीति 11.04 प्रतिशत थी, जबकि अक्टूबर 2021 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 0.06 प्रतिशत से बढ़कर 8.33 प्रतिशत हो गई।
आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, हमारी उम्मीदों के अनुरूप थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 18 महीने के अंतराल के बाद गिरकर एकल अंक पर आ गई।
उन्होंने कहा, पिछले पांच महीनों में ईंधन, धातु और रसायनों की कीमतों में महत्वपूर्ण सुधार के साथ थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति नीचे की ओर रही है।
सिन्हा ने कहा, खुदरा स्तर पर मुद्रास्फीति में नरमी की गति अपेक्षाकृत कम हो सकती है, क्योंकि वस्तुओं की कीमतों में कमी का लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच सकते।
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