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भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग ने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड पर बड़ी कार्रवाई की है. मारुति सुजुकी देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी है. इस पर सीसीआई ने 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- Maruti Suzuki penalty: भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India CCI) ने मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड MSIL पर बड़ी कार्रवाई की है. मारुति सुजुकी देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी है. इस पर सीसीआई ने 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. सीसीआई भारत का एंटीट्रस्ट रेगुलेटर है जिसका काम कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा या कॉम्पटिशन को बढ़ावा देना है. सीसीआई यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियों के बीच कॉम्पटिशन में ग्राहकों का हित सधता रहे और उन्हें कोई घाटा न हो.
CCI ने माना है कि मारुति कंपनी ने कॉम्पटिशन के नियमों (maruti suzuki penalty) की अवहेलना की है जिसके एवज में जुर्माने का ऐलान किया गया है. सीसीआई ने आरोप लगाया है कि मारुति ने डीलर्स पर दबाव बनाकर कारों पर डिस्काउंट तय किए गए. मारुति के खिलाफ साल 2019 में सीसीआई ने जांच शुरू की जिसमें कारों पर डिस्काउंट को लेकर आरोप लगाए गए थे. 'रॉयटर्स' ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मारुति के दबाव के चलते कार डीलरों में बिक्री के लिए होड़ देखी गई. इससे ग्राहकों को नुकसान हुआ क्योंकि डीलर बिना किसी के दबाव में अपने हिसाब से दाम और डिस्काउंट तय करते तो कारों की कीमतें कम हो सकती थीं.
क्या है वजह
21 जून 2012 को इसी तह का एक बड़ा कदम सीसीआई CCI ने उठाया था जिसमें देश की 11 सीमेंट कंपनियों को व्यापार संघ बनाकर कीमतें तय करने का दोषी ठहराते हुए 6000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड MSIL के मामले में सीसीआई ने एक जांच की और कंपनी को निर्देश दिया कि इस तरह के काम से वह खुद को दूर रखे. सीसीआई ने 200 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि को 60 दिन के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है.
पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में रीसेल प्राइस मेंटीनेंस (RPM) के नियम में मारुति सुजुकी पर जुर्माना (maruti suzuki penalty) लगाया गया है. कार डीलर के साथ डिस्काउंट कंट्रोल पॉलिसी में गड़बड़ी पाए जाने के बाद सीसीआई ने जुर्माना लगाने का निर्णय लिया. CCI ने पाया कि MSIL का अपने डीलरों के साथ एक समझौता था, जिसके तहत डीलरों को MSIL की ओर से तय छूट से अधिक ग्राहकों को छूट देने से रोक दिया गया था. यानी कि छूट की जो दर मारुति सुजुकी ने तय किए, उसी दर का पालन डीलर को करना था.
क्या कहा CCI ने
दूसरे शब्दों में कहें तो कार डीलर के लिए MSIL की एक डिस्काउंट कंट्रोल पॉलिसी है जिसके तहत डीलर मारुति सुजुकी की ओर से तय छूट की सीमा से ज्यादा डिस्काउंट नहीं दे सकते थे. इससे ग्राहकों को नुकसान हुआ क्योंकि डीलर अपने हिसाब से डिस्काउंट तय करते तो कारों के दाम कम हो सकते थे. सीसीआई ने कहा है, अगर किसी डीलर को ग्राहकों को डिस्काउंट देना होता था तो इसके लिए MSIL से अनुमति लेनी होती थी.
अगर कोई डीलर अपने हिसाब से छूट देता था तो उस पर जुर्माना लगाया जाता और इसके लिए डिस्काउंट कंट्रोल पॉलिसी का हवाला दिया जाता था. डीलर के खिलाफ ही नहीं बल्कि डीलरशिप के एजेंटों, डायरेक्ट सेल्स एक्जक्यूटिव, रीजनल मैनेजर, शोरूम मैनेजर, टीम लीडर आदि पर जुर्माना ठोका जाता था.
मारुति के साथ जापान की कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन है जिसकी अधिकांश हिस्सेदारी है. इस साल जून महीने में मारुति सुजुकी ने अपनी सभी गाड़ियों के दाम बढ़ाए थे जिसे जुलाई-सितंबर के दौरान अमल में लाया गया. कंपनी ने कहा था इनपुट कॉस्ट या लागत में बड़ी बढ़ोतरी आई है जिसके चलते दामों में वृद्धि करना जरूरी हो गया है. मारुति सुजुकी ने इस साल तीन बार दाम बढ़ाया है. जनवरी, अप्रैल और जून में कीमतों में बढ़ोतरी का ऐलान किया गया.
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