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कंपनियों से ज्यादा आम आदमी ने दिया टैक्स, इसलिए गिरा कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन
Apurva Srivastav
4 Jun 2021 8:47 AM GMT
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Income Tax कलेक्शन को लेकर बीते 12 सालों में जो नहीं हुआ
Income Tax कलेक्शन को लेकर बीते 12 सालों में जो नहीं हुआ, मोदी सरकार के कार्यकाल में हो गया. केंद्र सरकार ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 का अपना अकाउंट का डेटा पेश किया. 12 सालों में पहली बार कॉर्पोरेट टैक्स के मुकाबले पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन ज्यादा रहा है. यानी कंपनियों और कॉर्पोरेशंस से ज्यादा टैक्स आम टैक्सपेयर्स ने दिया है.
पहली बार आम आदमी ने ज्यादा दिया टैक्स
Controller General of Accounts की ओर से जारी आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन 4.57 लाख करोड़ रुपये था, जबकि इस दौरान इनकम टैक्स कलेक्शन 4.69 लाख करोड़ रुपये था. यानी कॉर्पोरेट टैक्स के मुकाबले पर्सनल इनकम टैक्स 12,000 करोड़ रुपये ज्यादा रहा है. इनकम टैक्स में इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स और HUFs की कमाई पर लगता है. जबकि कॉर्पोरेट टैक्स कंपनियों से उनके मुनाफे पर वसूला जाता है.
इसलिए गिरा कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन
वित्त वर्ष 2020-21 में कॉर्पोरेट और पर्सनल इनकम टैक्स दोनों में ही गिरावट दर्ज हुई थी, कॉर्पोरेट टैक्स 18 परसेंट और पर्सनल इनकम टैक्स 2.3 परसेंट घटा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि मोदी सरकार ने सितंबर 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स रेट में 10 परसेंट की कटौती की थी, इसको 35 परसेंट से घटाकर सीधा 25 परसेंट कर दिया गया था. मौजूदा कंपनियों के लिए नया कॉर्पोरेट टैक्स अब 25 परसेंट है, जबकि नई मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए ये 17 परसेंट है.
महामारी में भी आम आदमी ने ज्यादा टैक्स दिया
साल 2018-19 में कॉर्पोरेट टैक्स 6.62 लाख करोड़ रहा था, जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 18 परसेंट ज्यादा था, लेकिन अब लगातार दो सालों से इसमें गिरावट देखने को मिल रही है, इसकी सबसे बड़ी वजह है टैक्स दरों में अचानक 10 परसेंट की कटौती और आर्थिक मंदी का असर. कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन साल 2019-20 में 16 परसेंट गिरा फिर इसके बाद साल 2020-21 में इसमें 18 परसेंट की गिरावट आई. मोटा मोटा हिसाब देखें तो साल 2018-19 के मुकाबले कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन में 31 परसेंट की गिरावट आई है. अगर पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन के आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बावजूद पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन में 2.5 परसेंट का इजाफा देखा गया है, जबकि इस दौरान कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन में 6 परसेंट की गिरावट रही.
मोदी सरकार के पहले 5 सालों में बढ़ा टैक्स कलेक्शन
साल 2014 में जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी उस समय की बात करें तो उस दौरान कारपोरेट टैक्स का आंकड़ा 4.28 लाख करोड़ का था जबकि इनकम टैक्स केवल 2.65 लाख करोड़ का रहा था. साल 2014 में ही डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 6.95 लाख करोड़ रुपये था. सरकार के पहले पांच सालों में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में जोरदार उछाल देखने को मिला. वित्त वर्ष 2017-18 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन पहली बार 10 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा. वित्त वर्ष 2018-19 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 12,97,674 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया.
बीते 2 साल में गिरा टैक्स कलेक्शन
लेकिन पीएम मोदी के दूसरे टर्म यानी साल 2019 के बाद से हालात बदल गए. आर्थिक मंदी की वजह से वित्त वर्ष 2019-20 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन घटकर 12,33,720 करोड़ रुपए पर आ गया. पिछला वित्त वर्ष 2020-21 कोरोना की चपेट में ही रहा, जिसके चलते डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन गिरकर 9.45 लाख करोड़ रुपए पर आ गया
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