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आम आदमी महंगाई से है परेशान, इस मानसून बढ़ सकते हैं दालों के दाम

Harrison
29 Aug 2023 5:57 AM GMT
आम आदमी महंगाई से है परेशान, इस मानसून बढ़ सकते हैं दालों के दाम
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नई दिल्ली | अगस्त में कमजोर मॉनसून आने वाले समय में परेशानी का सबब बन सकता है. मौसम विभाग (IMD) के आकलन के मुताबिक, इस साल अगस्त में पिछले 8 साल में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है. गौरतलब है कि कमजोर मॉनसून का सिलसिला सितंबर में भी जारी रह सकता है. इसके पीछे अल नीनो फैक्टर को जिम्मेदार बताया जा रहा है. ऐसे में कम बारिश की वजह से दलहन और तिलहन की कीमतें (Pulses and Oilseed Prices Hike) बढ़ सकती हैं. हालांकि देश के ज्यादातर हिस्सों में खरीफ फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन कमजोर मॉनसून के कारण फसल की पैदावार प्रभावित होने की आशंका है.
अधिकांश भागों में वर्षा कम हो गई
फाइनेंशियल टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दलहन और तिलहन की बुआई के बाद अब यह फसल फूलने की अवस्था में है. ऐसे में उन्हें ज्यादा से ज्यादा पानी की जरूरत होती है. ऐसे में कमजोर मॉनसून इन फसलों की पैदावार पर बहुत बुरा असर डाल सकता है. मौसम विभाग के मुताबिक, सोमवार तक भारत में मॉनसून का लॉग पीरियड औसत करीब 92 फीसदी रहा है. देश के केवल उत्तर पश्चिम हिस्से में ही पिछले साल की तुलना में 6 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. वहीं मध्य भाग में 7 फीसदी, पूर्वी उत्तर भारत में 15 फीसदी और दक्षिणी हिस्से में 17 फीसदी कम बारिश हुई है.फाइनेंशियल टाइम्स से बात करते हुए मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसे में पूरे देश में अगस्त महीने में पिछले साल की तुलना में 35 फीसदी कम बारिश हुई है. ऐसे में अगर सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई तो भी इतनी बड़ी कमी को पूरा करना मुश्किल हो सकता है.
कम बारिश से बढ़ सकते हैं दलहन और तिलहन के दाम!
गौरतलब है कि खरीफ सीजन में फसलों की पैदावार अगस्त और सितंबर में होने वाली बारिश पर निर्भर करती है. ऐसे में इन दो महीनों में कम बारिश के कारण देश में धान, गन्ना, दलहन और तिलहन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में खाद्यान्न उत्पादन में सालाना आधार पर 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह बढ़कर 330.5 मिलियन टन (MT) हो गया था. वहीं, इस साल खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 332 मिलियन टन तय किया गया है. सामान्य से इतनी कम बारिश खाद्यान्न उत्पादन के लक्ष्य को बड़ा झटका दे सकती है. इसके साथ ही दलहन और तिलहन की कीमत पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है.
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