व्यापार
महंगाई की चपेट में आम आदमी! अब नहाना-कपड़े धोना भी हुआ महंगा, Surf-RIN समेत कई प्रोडक्ट्स के दाम इतने रुपये बढ़े
Rounak Dey
8 Sep 2021 1:45 AM GMT
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नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच कई तरह की आर्थिक चुनौतियों (Financial Challenges) का सामना कर रहे आम आदमी का अब नहाना और कपड़े धोना भी महंगा हो गया है. दरअसल, आम आदमी के रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल आने वाले उत्पाद (FMCG) बनाने वाली भारतीय कंपनी हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड (HUL) ने लक्स, सर्फ एक्सल और रिन समेत अपने कई प्रोडक्ट्स के दाम (Price Hike) में 3.5 से लेकर 14 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है. दरअसल, कंपनी ने कच्चे माल की लागत में हुई बढ़ोतरी (Cost Rise) का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल दिया है.
देश की ज्यादातर कंपनियां ईंधन महंगा (Fuel Price Hike) होने से लागत बढ़ने के कारण कीमतें बढ़ा रही हैं. हिंदुस्तान यूनिलिवर ने ज्यादातर डिटर्जेंट वैरायटी की कीमत में वृद्धि की है, लेकिन सबसे ज्यादा मूल्यवृद्धि हाई-एंड कैटेगरी सर्फ एक्सेल (Surf Excel) में की गई है. पिछले महीने एचयूएल ने सर्फ एक्सेल ईजी वॉश के 3 किग्रा पैक की कीमत 10 फीसदी बढ़ाकर 330 रुपये कर दी. वहीं, इसके 1 किग्रा पैक की कीमत 9 फीसदी बढ़ाकर 109 रुपये कर दी. इसी प्रकार सर्फ एक्सेल क्विक वॉश 1 किग्रा पैक की कीमत 11 फीसदी बढ़ाकर 200 रुपये कर दी गई है.
एचयूएल के किस प्रोडक्ट के दाम कितने बढ़े
1. रिन डिटर्जेंट पावडर के 1 किग्रा पैक की कीमत 8 फीसदी बढ़ाकर 70 रुपये कर दी है.
2. व्हील के 1 किग्रा पैक की कीमत 3.5 फीसदी बढ़ाकर 57 रुपये कर दी गई है.
3. 50 ग्राम के सर्फ एक्सेल बार की कीमत अब 30 रुपये है, जो पहले 29 रुपये थी.
4. विम बार 300 ग्राम की नई कीमत अब 22 रुपये है, जो पहले 20 रुपये में मिलता था.
5. लक्स साबुन और लाइफ ब्वॉय साबुन के दाम 8-12 फीसदी तक बढ़ गए हैं.
डिटर्जेंट निर्माता ज्योति लैब ने कुछ बाजारों में कीमत बढ़ाई है. कंपनी ने ग्रामीण इलाकों में बेचे जाने वाले सस्ते डिटर्जेंट की कीमतों में भी वृद्धि की है. जानकारों का कहना है कि लागत तेजी से बढ़ने के कारण दूसरी एफएमसीजी कंपनियां भी अपने प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ा सकती हैं. बता दें कि साबुन बनाने में पाम ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है. भारत में इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल का आयात किया जाता है. भारत अपने कुल आयात का 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से खरीदता है. वहीं 30 फीसदी मलेशिया से आयात किया जाता है.
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