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ट्रेड यूनियन इंटक ने कहा है कि स्टील और एल्युमीनियम सहित विभिन्न क्षेत्रों में कैप्टिव बिजली संयंत्र कोयले (Coal) की कमी का सामना कर रहे हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ट्रेड यूनियन इंटक ने कहा है कि स्टील और एल्युमीनियम सहित विभिन्न क्षेत्रों में कैप्टिव बिजली संयंत्र कोयले (Coal) की कमी का सामना कर रहे हैं और अगर स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो इससे कई औद्योगिक इकाइयां बंद हो सकती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर बेरोजगारी पैदा हो सकती है. पीटीआई से बात करते हुए इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी) नेशनल जनरल सचिव संजय कुमार सिंह ने कहा कि फिलहाल कोयले की सप्लाई (coal supply) में प्राथमिकता स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) को दी जा रही है, न कि कैप्टिव पावर प्लांट (power plant) को इसी वजह से इस्पात और एल्यूमीनियम सहित विभिन्न क्षेत्रों में कैप्टिव बिजली संयंत्र में कोयले की कमी देखने को मिल रही है
दो महीने में स्थिति और बिगड़ी
सिंह ने जानकारी कि "अगर हमारा कोयले का उपयोग 100 फीसदी है तो हमें सिर्फ 20 फीसदी ही मिल रहा है… अगर यही स्थिति रही तो छोटी कंपनियां उस स्तर पर पहुंच जाएंगी जहां उन्हें बंद करना होगा. सिंह ने कहा कि पिछले दो महीनों में स्थिति और खराब हुई है और उन्होंने छत्तीसगढ़ सहित कोयला आधारित राज्यों में संचालित उद्योगों को कोयले की आपूर्ति को प्राथमिकता देने और उसके बाद राज्यों के बाहर कोयले की आपूर्ति करने के लिए सरकार से गुहार लगाई है. "हमने प्रधानमंत्री को भी लिखा है और कहा है कि यदि कोयला आधारित क्षेत्रों में काम करने वाले उद्योगों की कोयले की मांग पूरी नहीं की जाती है और इसके बजाय राज्य के बाहर के उद्योगों को कोयले की आपूर्ति की जाती है, तो स्थिति बिगड़ सकती है. उन्होंने कहा, "इसलिए, पहले कोयला वाले राज्यों में काम कर रहे उद्योगों की कोयले की जरूरतों को पूरा करें और फिर राज्य के बाहर भेजें". उन्होने कहा कि ऐसी किल्लत बनी रही तो उत्पादन रुक सकता है इसका असर रोजगार पर देखने को मिल सकता है.
नहीं है देश में कोयले की किल्लत
वहीं केंद्र सरकार ने साफ किया कि देश में ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कोई किल्लत नहीं है . इस बीच, सरकार ने सोमवार को कहा कि थर्मल कोयले की मांग को पूरा करने के लिए आयात पर देश की निर्भरता में तेजी से कमी आई है और जोर दिया है कि अगले वित्तीय वर्ष में यह मांग कोल इंडिया, सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड और कैप्टिव खदानों से पूरी की जाएगी. बिजली मंत्रालय ने 2022-23 के लिए कोयला आधारित बिजली उत्पादन के लिए 727 मिलियन टन (एमटी) घरेलू कोयले की आवश्यकता का अनुमान लगाया है.कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार को कहा कि देश में ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कोई कमी नहीं है. 2021 में भी, निकासी के मुद्दों के कारण थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक कम हो गया, लेकिन देश में पर्याप्त कोयला उपलब्ध था
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