सूर्य में हो रही गतिविधियां पृथ्वी (Earth) समेत शुक्र (Venus) और बुध (Mercury) ग्रहों को ‘मुसीबत’ में डाल रही हैं. तीनों ग्रह सूर्य के सबसे करीब हैं और उससे निकलने वाले सोलर फ्लेयर्स (Solar Flares) कोरोनल मास इजेक्शन (CME) और सौर हवाओं की चपेट में आ रहे हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, एक विशाल CME पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है. यह कल यानी गुरुवार को हमारे ग्रह से टकरा सकता है. CME जब पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करेगा, तब उत्तरी अमेरिका समेत कई इलाकों में बहुत बढ़िया ऑरोरा (Aurora) दिखाई दे सकते हैं.
स्पेसवेदरडॉटकॉम के अनुसार, 13 जुलाई को पृथ्वी पर G1 कैटिगरी का एक भूचुंबकीय तूफान आ सकता है, जब CME पृथ्वी के करीब से गुजरेगा. इसकी वजह से आसमान में ऑरोरा दिखाई देंगे. इन्हें अमेरिका के ज्यादातर बड़े शहरों में देखा जा सकेगा. ऑरोरा आकाश में बनने वाली खूबसूरत प्राकृतिक रोशनी है. यह रात के वक्त आमतौर पर नॉर्थ और साउथ पोल्स के पास देखने को मिलती है. ऑरोरा तब बनते हैं, जब सौर हवाएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से इंटरेक्ट करती हैं.
सौर तूफानों का जिक्र आते ही यह प्रश्न उठ खड़ा होता है कि क्या इससे हमारी संचार सेवाओं पर कोई असर पड़ेगा. रिपोर्ट के अनुसार, सौर तूफान पृथ्वी पर कम्युनिकेशन को बाधित करने की क्षमता रखते हैं, लेकिन G1 कैटिगरी का तूफान बहुत कारगर नहीं होता. यह हमारे ग्रह को सीधे तौर पर कोई हानि नहीं पहुंचाता, लेकिन निचली कक्षाओं में तैनात उपग्रहों को हानि पहुंचा सकता है. जीपीएस और लो-फ्रीक्वेंसी की रेडियो वेव्स पर कुछ असर हो सकता है.
बात करें, कोरोनल मास इजेक्शन या CME की, तो ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं. सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं. अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं. कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं. जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं. इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है. इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में उपस्थित अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं.