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बागवानी क्षेत्र में व्‍यापक वृद्धि के लिए कलस्‍टर विकास कार्यक्रम की शुरुआत, 20 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान

Apurva Srivastav
1 Jun 2021 6:44 PM GMT
बागवानी क्षेत्र में व्‍यापक वृद्धि के लिए कलस्‍टर विकास कार्यक्रम की शुरुआत, 20 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान
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बागवानी क्षेत्र में व्‍यापक वृद्धि के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सोमवार को बागवानी कलस्‍टर विकास कार्यक्रम की शुरुआत की

बागवानी क्षेत्र में व्‍यापक वृद्धि के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सोमवार को बागवानी (Horticulture) कलस्‍टर विकास कार्यक्रम की शुरुआत की. राष्‍ट्रीय बागवानी बोर्ड इसे कार्यान्वित करेगा. ऊंची कीमत वाली बागवानी फसलों का आयात कम करने के मकसद से विभिन्‍न फसलों के लिए 53 बागवानी कलस्‍टरों की पहचान की गई है. इसमें से 12 कलस्‍टरों को कलस्‍टर विकास कार्यक्रम के इस प्रायोगिक चरण के लिए चुना गया है. अगले 5 से 7 वर्ष में इस कार्यक्रम से इसके एक्सपोर्ट में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.

इसकी शुरुआत करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कार्यक्रम से 10 लाख किसानों (Farmers) सहित अन्य हितधारकों को लाभ होगा. वहीं इससे 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा. जिसमें 6500 करोड़ रुपये निजी क्षेत्र से आएगा. तोमर ने कहा कि भारत, विश्‍व में बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है. विश्‍व के फल-सब्जियों का लगभग 12 प्रतिशत उत्‍पादन करता है.
कहां कौन कलस्टर
-सेब के लिए शोपियां (जम्‍मू व कश्‍मीर) व किन्‍नौर (हिमाचल प्रदेश).
-आम के लिए लखनऊ (उत्‍तर प्रदेश), कच्‍छ (गुजरात) एवं महबूबनगर (तेलंगाना).
-केला के लिए अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) एवं थेनी (तमिलनाडु).
-अंगूर के लिए नासिक (महाराष्‍ट्र).
-अनानास के लिए सिफाहीजाला (त्रिपुरा).
-अनार के लिए शोलापुर (महाराष्‍ट्र) एवं चित्रदुर्ग (कर्नाटक).
-हल्‍दी के लिए वेस्‍ट जयंतिया हिल्‍स (मेघालय).
महंगी फसलों की ओर आकर्षित करने पर जोर
विश्‍व बागवानी व्‍यापार में भारत की हिस्‍सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए तोमर ने कहा कि इसके लिए उत्‍तम पद्धतियां अपनाने की जरूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुरू से ही इस बात पर जोर रहा है कि खेती में संतुलन हो. किसान मुनाफे की खेती करें, कृषि उपज की गुणवत्ता बढ़े, नई-नई तकनीकों का पूरा उपयोग हो और छोटे किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हो. कोरोना (Corona) महामारी के बावजूद भारत में खाद्यान्न व बागवानी क्षेत्र में बहुत अच्छा उत्पादन हुआ है.
बुवाई में 21 फीसदी वृद्धि
ग्रीष्मकालीन बुवाई भी पिछली बार से 21 प्रतिशत अधिक हुई है. गर्मी की फसल 80.46 लाख हेक्टेयर में बोई गई है. किसानों को नुकसान से बचाने, प्रोसेसिंग सुविधाएं देने, इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने, देश-विदेश में कृषि उपज की अच्छी कीमत पर बिक्री में सफलता दिलाने के लिए काम हो रहा है. बागवानी कलस्‍टर विकास कार्यक्रम भी इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.
बागवानी क्षेत्र में बढ़ा अवसर
तोमर ने कहा कि कोविड के दौरान कृषि क्षेत्र ने आपदा को अवसर में बदलते हुए खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (Food supply chain) को बनाए रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की है. अब हमारी कार्यशैली में बदलाव आया है. लोगों को प्रकृति के ज्यादा करीब आने का अवसर मिला है. खान-पान में हर्बल एवं औषधीय फसलों का उपयोग बढ़ा है.
रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने व बढ़ाने के लिए औषधीय फसल- हल्‍दी, तुलसी, अदरक, गिलोय, लौंग, काली मिर्च, दालचीनी आदि का उपयोग एवं मांग बढ़ी है. ऐसे में बागवानी क्षेत्र में अवसर और बढ़ गए हैं. औषधीय खेती हमारे देश की बड़ी ताकत है. जिसके हम बड़े उत्पादक हैं. कलस्‍टरों के माध्यम से हम हर्बल खेती की तरफ बढ़ेंगे. जिससे घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के साथ ही निर्यात में भी योगदान होगा, किसानों की आय बढ़ेगी.


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