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सिटी बैंक ने भारत से अपने कारोबार को समेटने की कर दी घोषणा, जानिए क्यों लेना पड़ा यह निर्णय

Apurva Srivastav
16 April 2021 3:22 PM GMT
सिटी बैंक ने भारत से अपने कारोबार को समेटने की कर दी घोषणा, जानिए क्यों लेना पड़ा यह निर्णय
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अमेरिका के सिटी बैंक ने भारत से अपने कारोबार को समेटने की घोषणा कर दी है

अमेरिका के सिटी बैंक ने भारत से अपने कारोबार को समेटने की घोषणा कर दी है. सिटी बैंक ने भारत में 119 साल पहले 1902 में अपने कारोबार की शुरुआत की थी. टेक्नोलॉजी, डिजिटाइजेशन और इनोवेशन के मामले में सिटी बैंक हमेशा आगे रहा. भारत में सैलरी अकाउंट का काम शुरू करने का श्रेय भी सिटी बैंक को ही जाता है. क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में यह बैंक तेजी से आगे बढ़ रहा था. सिटी को वित्त वर्ष 2019-20 में 4912 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 4185 करोड़ रुपए था. बावजूद इन सबके बैंक ने भारत में उपभोक्ता कारोबार बंद करने का ऐलान कर दिया है.

गुरुवार को सिटी इंडिया के सीईओ आशु खुल्लर ने कहा, 'इस घोषणा से हमारे परिचालन में कोई बदलाव नहीं होगा और सहकर्मियों पर भी कोई तत्काल प्रभाव नहीं होगा. इस दौरान हम अपने अपने ग्राहकों को पहले की तरह सेवा देते रहेंगे.' संस्थागत बैंकिंग कारोबार के अलावा, सिटी अपने मुंबई, पुणे, बेंगलुरू, चेन्नई और गुरुग्राम केंद्रों से वैश्विक कारोबार पर ध्यान देता रहेगा. सिटी बैंक भारत सहित कुल 13 देशों में कंज्यूमर बैंकिंग बाजार को बंद करने जा रहा है.
भारत में अपने कारोबार समेट रहा सिटी बैंक, आखिर क्यों बैंक को लेना पड़ा यह निर्णय, जानिए
अमेरिका के सिटी बैंक ने भारत से अपने कारोबार को समेटने की घोषणा कर दी है. सिटी बैंक ने भारत में 119 साल पहले 1902 में अपने कारोबार की शुरुआत की थी. टेक्नोलॉजी, डिजिटाइजेशन और इनोवेशन के मामले में सिटी बैंक हमेशा आगे रहा.
भारत में सैलरी अकाउंट का काम शुरू करने का श्रेय सिटी बैंक को ही जाता है.
अमेरिका के सिटी बैंक ने भारत से अपने कारोबार को समेटने की घोषणा कर दी है. सिटी बैंक ने भारत में 119 साल पहले 1902 में अपने कारोबार की शुरुआत की थी. टेक्नोलॉजी, डिजिटाइजेशन और इनोवेशन के मामले में सिटी बैंक हमेशा आगे रहा. भारत में सैलरी अकाउंट का काम शुरू करने का श्रेय भी सिटी बैंक को ही जाता है. क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में यह बैंक तेजी से आगे बढ़ रहा था. सिटी को वित्त वर्ष 2019-20 में 4912 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 4185 करोड़ रुपए था. बावजूद इन सबके बैंक ने भारत में उपभोक्ता कारोबार बंद करने का ऐलान कर दिया है.
गुरुवार को सिटी इंडिया के सीईओ आशु खुल्लर ने कहा, 'इस घोषणा से हमारे परिचालन में कोई बदलाव नहीं होगा और सहकर्मियों पर भी कोई तत्काल प्रभाव नहीं होगा. इस दौरान हम अपने अपने ग्राहकों को पहले की तरह सेवा देते रहेंगे.' संस्थागत बैंकिंग कारोबार के अलावा, सिटी अपने मुंबई, पुणे, बेंगलुरू, चेन्नई और गुरुग्राम केंद्रों से वैश्विक कारोबार पर ध्यान देता रहेगा. सिटी बैंक भारत सहित कुल 13 देशों में कंज्यूमर बैंकिंग बाजार को बंद करने जा रहा है.
आखिर क्यों बैंक ने लिया यह निर्णय?
कहा जा रहा है कि भारत के बैंकिंग नियमों के साथ ही कुछ अन्य कारण थे, जिसकी वजह से सिटी बैंक कंज्यूमर बैंकिंग की क्षेत्र में उम्मीद के मुताबिक वृद्धि दर्ज नहीं कर पा रहा था. इसके अलावा 2008 की आर्थिक मंदी ने इसके कारोबार पर काफी असर किया. सिटी बैंक उस मंदी में काफी प्रभावित हुआ था और उससे उबर नहीं पाया. वहीं बैंक का लोन वित्तीय वर्ष 2019-20 में बढ़कर 7.97 प्रतिशत तक पहुंच गया.
क्रेडिट कार्ड कारोबार को नहीं मिल रही थी बढ़त
भारत में सिटी बैंक के कारोबार समेटने की चर्चा पिछले कुछ दिनों से चल रही थी. हालांकि यह लोगों को हैरान करने वाली थी. बैंक रिटेल और क्रेडिट कार्ड क्षेत्र में कारोबार को बढ़ाने में लगा था. क्रेडिट कार्ड के मामले में सिटी बैंक देश में छठे नंबर पर था. लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी पिछले 10 साल में क्रेडिट कार्ड के क्षेत्र में मात्र 1.6 प्रतिशत ही कारोबार बढ़ पाया था. बैंक का आउटस्टैंडिंग कार्ड का मार्केट शेयर 13 प्रतिशत से घटकर 4 प्रतिशत रह गया था.
क्रेडिट कार्ड के मामले में दूसरे बैंकों को मिलेगा लाभ?
अन्य बैंकों के मुकाबले सिटी बैंक के क्रेडिट कार्ड होल्डर्स की संख्या भले ही कम हो, लेकिन वे सभी प्रीमियम कस्टमर्स हैं. ऐसे ग्राहक खर्च ज्यादा करते हैं, जिसका बैंक को लाभ मिलता है. अब इन क्रेडिट कार्ड होल्डर्स पर अन्य बैंकों की नजर होगी. वे इन्हें अपनी सेवाएं देने की कोशिश करेंगे.
भारत में घटती जा रही है विदेशी बैकों की हिस्सेदारी
भारत में विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी धीरे-धीरे कर के खटती जा रही है. 2005 में देश में विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी 6.55 प्रतिशत थी. 2010 में यह घटकर 4.65, 2015 में 4.41 और 2020 में 4.15 प्रतिशत रह गई. पिछले कुछ सालों में बर्कलेज, एचएसबीसी बैंक, मॉर्गन स्टेनली, मेरिल लिंच, आरबीएस और डॉयचे बैंक समेत कुछ अन्य बैंकों ने भारत में अपने कारोबार को बंद कर दिया है या तो अपनी हिस्सेदारी बेच दी है.


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