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चीन को बिजली संकट से होगा बड़ा नुकसान, दूसरे देशों में विदेशी कंपनियां ने निवेश का बनाया प्लान

Bhumika Sahu
30 Sep 2021 5:37 AM GMT
चीन को बिजली संकट से होगा बड़ा नुकसान, दूसरे देशों में विदेशी कंपनियां ने निवेश का बनाया प्लान
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चीन में बिजली संकट के चलते अब विदेशी कंपनियां वहां निवेश करने से कतरा रही है. एशिया पर्सपेक्टिव के पार्टनर जोहान एनेल ने कहा, कुछ कंपनियां चीन में निवेश को लेकर एकदम तैयार थी. लेकिन वे अब आगे नहीं बढ़ने का विकल्प चुन सकते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन इस समय एक बड़े बिजली संकट से जूझ रहा है. चीन के कुछ हिस्सों में अचानक बिजली कटौती ने कुछ विदेशी कंपनियां अब दूसरे देशों में निवेश का प्लान बना रही है. पिछले कई दिनों में, कई स्थानीय चीनी सरकारों ने बिजली के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है और कारखाने के उत्पादन को सीमित या रोक दिया है. नया प्रतिबंध ऐसे समय में आया है जब देश में बिजली पैदा करने के लिए कोयले की कमी हो गई है और क्षेत्रीय अधिकारियों पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए केंद्र सरकार के आदेश पालन करने का दबाव बढ़ गया है.

चीन में बिजली संकट के चलते अब विदेशी कंपनियां वहां निवेश करने से कतरा रही है. एशिया पर्सपेक्टिव के पार्टनर जोहान एनेल ने कहा, कुछ कंपनियां चीन में निवेश को लेकर एकदम तैयार थी. लेकिन वे अब आगे नहीं बढ़ने का विकल्प चुन सकते हैं. एशिया पर्सपेक्टिव एक कंसल्टिंग फर्म है जो मुख्य रूप से पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया में काम करने वाली उत्तरी यूरोपीय कंपनियों के साथ काम करती है.
सितंबर में चीन की फैक्ट्री गतिविधि सिकुड़ी
बिजली संकट से पिछले साल महामारी शुरू होने के बाद पहली बार सितंबर में चीन की फैक्ट्री गतिविधि सिकुड़ी है. यह एक संकेत है कि व्यापक बिजली संकट पहले से ही धीमी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है. आधिकारिक मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स अगस्त में 50.1 से घटकर 49.6 रह गया. 50 अंक से नीचे उत्पादन में गिरावट का संकेत है.
यहां बढ़ सकता है निवेश
एनेल ने कहा, यूरोपियन कंपनियां चानी में लाखों अमेरिकी डॉलर निवेश करना चाह रही थी. चीन अभी भी मैन्युफैकच्रिंग के लिए एक मजबूत गंतव्य है. उन्होंने कहा कि कंपनियां अब चीन के बजाय दक्षिण पूर्व एशिया, विशेष रूप से वियतनाम में निवेश करना चाह रही हैं.
बता दें कि चीन में उत्सर्जन में कटौती का लक्ष्य तय किया है. इससे देश की आर्थिक विकास और ग्लोबल बिजनेस पर दबाव पड़ सकता है. चीन का करीब आधा क्षेत्र बीजिंग द्वारा निर्धारित ऊर्जा खपत लक्ष्यों से चूक गए हैं और अब बिजली के उपयोग को रोकने के लिए दबाव में हैं. सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में Jiangsu, Zhejiang और Guangdong हैं. ये तीनों इंडस्ट्रियल पावरहाउस हैं और चीन की अर्थव्यवस्था में इसका एक तिहाई योगदान है.


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