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पाकिस्तान से भी खराब पड़ोसी चीन: चीन की आर्थिक कमर तोड़ने का समय अब आ गया, व्यापारियों ने कही ये बात

jantaserishta.com
18 Dec 2022 6:57 AM GMT
पाकिस्तान से भी खराब पड़ोसी चीन: चीन की आर्थिक कमर तोड़ने का समय अब आ गया, व्यापारियों ने कही ये बात
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

चीन के होश ठिकाने आ जाएंगे.
नई दिल्ली: चीन (China) के साथ सीमा विवाद के बीच, चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री (Commerce Minister) पीयूष गोयल (Piyush Goyal) को पत्र लिखकर माल के आयात और ई-कॉमर्स नीति में बदलाव का आग्रह किया है. व्यापारियों के संगठन ने प्रत्येक वस्तु पर 'मूल देश' का नाम लिखना अनिवार्य करने को कहा है. उनका कहना है कि इस कदम से उपभोक्ताओं को इस बात का पता चल पाएगा कि ये प्रोडक्ट चीन से आया है. इससे उसका बहिष्कार किया जा सकेगा. भारत-चीन के बीच तवांग बॉर्डर पर गतिरोध के बीच दिल्ली के व्यापारियों ने चीनी प्रोडक्ट (China Products) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसी दौरान CTI ने वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखा है.
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में कनॉट प्लेस इलाके में चीनी सामानों के बहिष्कार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखा गया. CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा- 'यह आग्रह किया गया है कि आयातित सामानों पर 'मूल देश' लिखना अनिवार्य किया जाना चाहिए. अभी कई प्रोडक्ट्स पर कोई जानकारी नहीं है. विशेष रूप से ई-कॉमर्स साइटों पर, उपभोक्ताओं को यह पता नहीं चल पाता है कि कौन सा प्रोडक्ट कहां का है.'
उन्होंने कहा कि जब लोग चीन के उत्पादों को खरीदना नहीं चाहते हैं, तब भी वे उन्हें खरीदते हैं क्योंकि उन पर 'मूल देश' की जानकारी नहीं लिखी होती है. अगर इस बात को प्रोडक्ट पर लिख दिया जाए तो इसका बहिष्कार किया जा सकता है. इसलिए CTI ने केंद्र सरकार से इस तरह की नीति पर काम करने और अपनी ई-कॉमर्स और आयात नीति में बदलाव करने का अनुरोध किया है.
बृजेश गोयल ने आगे कहा कि चीन भारतीय बाजारों से पैसा कमाता है और भारत के खिलाफ ही इसका दुरुपयोग कर रहा है. हमें चीन की आर्थिक कमर तोड़नी है. उन्होंने कहा कि अगर भारतीय कारोबारी और उपभोक्ता चीनी सामान का बहिष्कार करते हैं तो चीन के होश ठिकाने आ जाएंगे.
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के पहले 9 महीनों में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 103.63 अरब डॉलर को पार कर गया. वहीं, घरेलू व्यापार घाटा बढ़कर 75.69 अरब डॉलर से अधिक हो गया. इस अवधि के दौरान चीन से भारत का निर्यात 89.66 बिलियन डॉलर रहा. इस दौरान भारत से चीन को निर्यात केवल 13.97 अरब डॉलर का था, जिसमें 36.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
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