आज फिर से पेट्रोल और डीजल के भाव (Petrol Diesel price) में कोई बदलाव नहीं आया. 22 मई से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर हैं. हालांकि, यूरोपियन यूनियन की तरफ से रसियन ऑयल पर प्रतिबंध (EU bans russian oil import) लगाने के फैसले से कच्चा तेल 124 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है. यह दो महीने का उच्चतम स्तर है. कमोडिटी मार्केट के जानकारों का कहना है कि अगर यह ट्रेंड बरकरार रहा तो अगले दो सप्ताह में मांग में तेजी के कारण कच्चा तेल 130 डॉलर के स्तर तक पहुंच जाएगा. 130 डॉलर का मनोवैज्ञानिक स्तर पार करने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी का दबाव बढ़ जाएगा.
दिल्ली में आज पेट्रोल 96.72 रुपए और डीजल 89.62 रुपए प्रति लीटर की कीमत पर बिक रहा है. मुंबई में आज एक लीटर पेट्रोल का दाम 111.35 रुपए और डीजल का दाम 97.28 रुपए है. चेन्नई में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 102.63 रुपए और डीजल की कीमत 94.24 रुपए है. वहीं, कोलकाता में पेट्रोल का दाम 106.03 और डीजल का दाम 92.76 रुपए प्रति लीटर है.
इधर SBI रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यों के पास अभी भी वैट में कटौती का स्पेस बचा हुआ है. ऐसे में राज्य सरकारें औसतन पेट्रोल पर 2 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 3 रुपए प्रति लीटर वैट में कटौती कर सकती हैं. इस कटौती के बावजूद उनके ऑयल रेवेन्यू कलेक्शन पर किसी तरह का असर नहीं होगा.
केंद्र सरकार की तरफ से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती के बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने वैट में कटौती की है. शेयरखान (Sharekhan) के कैपिटल मार्केट स्ट्रैटिजी प्रमुख गौरव दुआ ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में पांच प्रमुख कंपोनेंट होते हैं. बेस प्राइस, किराया, एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और VAT. वैल्यु ऐडेड टैक्स यानी वैट का कैलकुलेशन बेस प्राइस, किराया, एक्साइज ड्यूटी और डीलर कमीशन के आधार पर होता है. इन चारों की वैल्यु जोड़कर उसका निश्चित फीसदी वैट के रूप में राज्यों की तरफ से वसूला जाता है. ऐसे में जब पेट्रोल और डीजल का रेट इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ता है तो बेस प्राइस बढ़ने के कारण राज्यों का वैट कलेक्शन बढ़ जाता है. अगर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती करती है तो ओवरऑल वैल्यु घट जाती है. इसके कारण वैट भी डिफॉल्ट रूप से घट जाता है.