सैन फ्रांसिस्को। गूगल की सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली वेबसाइट के तौर पर बादशाहत निर्विवाद है और यह वर्ष 2000 के शुरुआत से ही शीर्ष सर्च इंजन बना हुआ है। हालांकि, वह नई कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) चैटबोट्स जैसे लोगों के सवालों का ऑनलाइन जवाब देने वाली चैटजीपीटी के आने के बाद उसके सामने अपनी बादशाहत खोने का खतरा उत्पन्न हो गया है। गूगल अपना एआई उत्पाद विकसित कर इसका मुकाबला कर रहा है, लेकिन चैटबॉट बर्द ने बहुत शानदार शुरुआत नहीं की है। इस महीने गूगल के विज्ञापन ने दिखाया कि बर्द ने जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन के बारे में गलत जानकारी दी। वेबसाइट दुनिया में सबसे लोकप्रिय होने के साथ प्रतिष्ठा भी है और खासतौर पर अतुलनीय विज्ञापन राजस्व प्राप्त करती है। हाल में प्रौद्योगिकी में आए बदलाव ने गूगल जैसे किरादारों के लिए अनिश्चिता पैदा कर दी है।
विज्ञापन राजस्व जिसने गूगल की सफलता में सबसे अधिक मदद की, अब उतनी सशक्त नहीं रही। एआई चैटबॉट जैसे चैटजीपीटी विज्ञापन अगर राजस्व पर कब्जा करने लगे तो इससे गूगल के विज्ञापन के मामले में शीर्ष सर्च इंजन के ओहदे को हिला सकती है। गूगल पर निर्भर रहने वाले लोग अकसर सवाल नहीं करते और ऐसा होता है कि वह गूगल के पहले सर्च पन्ने से आगे नहीं जाते, लेकिन एआई के नए मंच के उदय से सामने आया है कि जैसे की है, किसी विषय को खोजते हैं वह कुछ वेबसाइटों की लिंक तक सीमित नहीं है। इसके बजाय चैटबॉट उसे दिखाती भी है और वार्तालाप के स्वरूप में यह कार्य कर सकती है। ऐसी एआई बिना विवाद के नहीं रह सकती। चिंताएं जताई गई हैं कि इससे साहित्य चोरी हो सकता है या इससे भी अधिक नौकरियां जा सकती है और वकील, पत्रकार जैसे पेशेवरों की आय घट सकती है।चैटजीपीटी विकसित करने वाले ओपनएसआई के मुख्य कार्यकारी ने कहा कंपनी टूल विकसित कर रही है, जिससे एआई द्वारा उत्पन्न लेख की पहचान की जा सकेगी।
वीडियो साक्षात्कार में उन्होंने कहा हम शिक्षकों से सुनते हैं कि जो होमवर्क पर इसके असर को लेकर बहुत ही आशंकित हैं। विज्ञानी और कार्यकर्ता नोम चोमेस्की ने चैटजीपीटी जैसे एआई टूल को पढ़ने से बचने का तरीका करार दिया है। उन्होंने कहा कि गूगल का अभिप्राय है कि हमें ज्ञान को याद करने की जरूरत नहीं है, हम उनकी तलाश कर सकते हैं। अब एआई से समस्या यह है कि क्या हम उस सवाल के उत्तर के बारे में सोचेंगे जो वापस मिलता है। वेब तक का रास्ता एक समय लोकप्रिय रहे सर्च इंजन आस्क जीविस, लिकोज और एक्साइट 'इंटरनेट पर बस नाम भर को रह गए क्योंकि गूगल 'सर्च' का पर्याय बन गया।
वर्ष 2000 में सबसे लोकप्रिय याहू से समझौते के तहत वेबसाइट से गूगल को स्वत: सर्च इंजन के तौर पर पेश किया गया और सर्च इंजन का अंतरराष्ट्रीय दर्जा सुनिश्चित हुआ। अन्य वेबसाइटों का मार्ग बनने का एक बड़ा फायदा हुआ कि वह नए इंटनेट आधारित विज्ञापन राजस्व का लाभ ले सका। प्रत्येक गूगल सर्च नतीजों के साथ प्रायोजित सामग्री दिखती है जिससे कंपनी को बढ़ने और आज के मुकाम पर पहुंचने का मौका मिला। गूगल का सालाना राजस्व साल दर साल बढ़ता रहा क्योंकि दो दशक पहले उसने सर्च में महारत हासिल की और खुद को अपने प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर साबित किया।