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प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री पर TDS के नियम में हो रहा बदलाव

Teja
2 Feb 2022 12:15 PM GMT
प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री पर TDS के नियम में हो रहा बदलाव
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नए नियम के अनुसार, अब 50 लाख रुपये से ज्यादा वैल्यू की नॉन-एग्रीकल्चरल प्रॉपर्टी के ट्रांजैक्शन पर सेल प्राइस (Sale Price) या स्टैंप ड्यूटी वैल्यू (Stamp Duty Value) में से जो ज्यादा होगा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी आम बजट (Budget 2022-23) पेश किया. इस बजट में कई बड़े ऐलान किए गए. बजट में नॉन-एग्रीकल्चरल इमूवबल प्रॉपर्टी (Immovable Property) के ट्रांजैक्शन से जुड़े टीडीएस (TDS) के नियम में भी बदलाव किया गया है. नए नियम के अनुसार, अब 50 लाख रुपये से ज्यादा वैल्यू की नॉन-एग्रीकल्चरल प्रॉपर्टी के ट्रांजैक्शन पर सेल प्राइस (Sale Price) या स्टैंप ड्यूटी वैल्यू (Stamp Duty Value) में से जो ज्यादा होगा, उसे 1 फीसदी टीडीएस के लिए आधार माना जाएगा. यानी अब होम बायर्स की जेब ढीली पड़ने वाली है.

1 अप्रैल 2022 से होगा प्रभावी
अब नए नियम के अनुसार, इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) में इसके लिए संशोधन किया जाएगा. आपको बता दें कि यह बदलाव इस साल 1 अप्रैल यानी नए वित्त वर्ष से प्रभावी होगा. इस नियम में बदलाव के बाद अगर किसी प्रॉपर्टी के लिए ट्रांजैक्शन में स्टैंप ड्यूटी 50 लाख या इससे ज्यादा है और ट्रांजैक्शन की वैल्यू भले ही 50 लाख से कम है तो 1 फीसदी टीडीएस देना होगा.
TDS के लिए प्रॉपर्टी की कीमत होता है आधार
गौरतलब है कि अब तक 50 लाख रुपये से ज्यादा वैल्यू की नॉन-एग्रीकल्चरल प्रॉपर्टी के ट्रांजैक्शन पर 1 फीसदी टीडीएस देने का नियम है और इस 1 फीसदी टीडीएस के लिए प्रॉपर्टी की कीमत को ही आधार माना जाता है. आपको बता दें कि टीडीएस का यह नियम सिर्फ 50 लाख रुपये से ज्यादा वैल्यू के ट्रांजैक्शन पर लागू होता है.
रुकेगी टैक्स की चोरी
दरअसल, प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन में टैक्स की चोरी को रोकने के लिए सरकार ने यह ऐलान किया है. इस घोषणा के बाद, अब प्रॉपर्टी खरीदने वाले व्यक्ति को विक्रेता को पेमेंट करते वक्त 1 फीसदी टीडीएस काटना होगा. यानी कुल मिलाकर यह बदलाव टैक्स चोरी रोकने में काफी कारगर होगा.
इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट का कहना है इससे इमूवबल प्रॉपर्टी की बिक्री पर टीडीएस मानदंडों में बदलाव से टैक्स चोरी को रोकने में मदद मिलेगी. दरअसल, खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के फॉर्म 26AS में दिखाई देगा. अगर कोई मिसमैच होगा, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसे मामले में अपराधी का पता लगा सकता है.' यानी आम लोगों के लिए यह एक बेहतर फैसला भी साबित होगा.


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