सरकार के तरफ से हुआ पेंशन में बदलाव, जीतनी रकम जमा, उतना पैसा
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| - EPFO पेंशन फंड में बदलाव की तैयारी में है.श्रम मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने श्रम को लेकर संसदीय पैनल को बताया कि अगर इस तरह की स्कीम को आगे जारी रखना है तो इसके स्ट्रक्चर में बदलाव की जरूरत है. अभी EPFO पेंशन की न्यूनतम सीमा निश्चित है. यह एक तरीक से 'डिफाइन्ड बेनिफिट्स' का मॉडल है. आने वाले समय में इस मॉडल को बदलकर योगदान के आधार पर पेंशन मॉडल (Defined contributions) को अपनाना होगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में EPFO के 23 लाख ऐसे पेंशनर्स हैं जिनकी महीने की पेंशन 1000 रुपए है. योगदान की बात करें तो फंड कॉर्पस में इनका योगदान लाभ के मुकाबले एक चौथाई भी नहीं है. ऐसे में EPFO के लिए यह बोझ लंबे समय तक उठा पाना मुश्किल है. यही वजह है कि श्रम मंत्रालय के अधिकारियों ने 'जितना योगदान करो, उतनी पेंशन पाओ' का रास्ता सुझाया है.
अगस्त 2019 में पेंशन बढ़ाने का दिया गया था सुझाव
पिछले साल लेबर मामलों पर संसदीय पैनल ने श्रम मंत्रालय से सवाल पूछा था कि अभी तक सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ऑफ ईपीएफओ के अगस्त 2019 के सुझाव को लागू क्यों नहीं किया गया है. अगस्त 2019 में सुझाव दिया गया था कि EPFO मिनिमम पेंशन को 1000 से बढ़ाकर 2000 या 3000 रुपये करे.
बढ़ जाएगा बोझ
श्रम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अगर मिनिमम पेंशन को बढ़ाकर 2000 किया जाता है तो EPFO पर 4500 करोड़ का अतिरिक्त भार बढ़ेगा. अगर इसे 3000 रुपए कर दिया जाता है तो यह बोझ करीब 14600 करोड़ का हो जाएगा. जानकारी के मुताबिक, EPFO ने शेयर बाजार में जो भारी भरकम निवेश किया था उस पर कोरोना की बुरी मार पड़ी है और यह रिटर्न नेगेटिव हो गया है. मतलब जितना निवेश किया गया था, रिटर्न उससे कम मिल रहा है.
शेयर बाजार में निवेश से हुआ नुकसान
बता दें कि मार्च 2020 में EPFO को अपने निवेश पर निगेटिव रिटर्न मिला था. उसके बाद भी उसने शेयर बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश किया जिसको लेकर अक्टूबर 2020 में EPFO के सेंट्रल कमिश्नर सुनील बर्थवाल से पूछा गया था कि निगेटिव रिटर्न के बावजूद फिर से शेयर बाजार में पैसा क्यों डाला गया जबकि कोरोना के कारण बाजार में अस्थिरता थी.
13.7 लाख करोड़ का है फंड कॉर्पस
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शेयर बाजार में EPFO ने करीब 4600 करोड़ का निवेश किया था. उसका टोटल फंड करीब 13.7 लाख करोड़ का है. वैसे में यह महज 5 फीसदी होता है. सरकार लगातार ईपीएफओ से कहती आ रही है कि वह सुरक्षित जगहों पर निवेश करे रिस्क की संभावना काफी कम है.