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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (माइटी) ने लगभग 138 गैंबलिंग ऐप्स और 'चीनी लिंकेज' चिंताओं पर 94 ऋण ऐप को ब्लॉक करने के बाद पेयू की बाय-नाउ-पे-लेटर (बीएनपीएल) सर्विस लेजीपे, किश्त, क्रेडिटबी और अन्य जैसे कुछ डिजिटल लेंडिंग ऐप्स पर से प्रतिबंध हटा लिया है।
आईटी मंत्रालय को हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा ऐसे ऐप पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया था, जो थर्ड पार्टी के लिंक के माध्यम से संचालित होते हैं।
सूत्रों ने कहा कि ये सभी ऐप आईटी अधिनियम की धारा 69 का उल्लंघन करते हुए पाए गए और इनमें ऐसे कंटेंट थे, जिसे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा माना गया।
किश्त ने एक बयान में कहा कि उसकी वेबसाइट और एप पर से प्रतिबंध हटा लिया गया है।
फिनटेक स्टार्टअप ने कहा, "सरकार ने यह सुनिश्चित करने में अविश्वसनीय समर्थन दिखाया है कि किश्त जैसे विश्वसनीय और पूर्ण अनुपालन वाले ऐप देश में अधिक से अधिक वित्तीय समावेशन की दिशा में काम करना जारी रखें। हमने 2017 से 8 मिलियन से अधिक भारतीयों की सेवा की है और आने वाले वर्षों में कई मिलियन से अधिक लोगों की सेवा करने के लिए तत्पर हैं।"
डिजिटल ऋण देने वाले ऐप्स ने कहा कि माइटी द्वारा जारी सूची में एप्टॉयड डोमेन 'प्रतिरूपण' का एक स्पष्ट उदाहरण है और इसका उनसे कोई संबंध नहीं है।
क्रेडिटबी ने एक बयान में कहा कि एप्टोइड एक थर्ड पार्टी ऐप है, जिसके साथ हमारी कोई औपचारिक या अनौपचारिक साझेदारी नहीं है।
क्रेडिटबी ने पहले एक बयान में कहा था, "हम अनुमान लगा रहे हैं कि यह एप्टोइड पर एक प्रॉक्सी ऐप है और आगे इसकी जांच कर रहे हैं। एप्टोइड लिंक को ब्लॉक करना हमारे लिए अनुकूल परिणाम है।"
टेकक्रंच ने सबसे पहले कुछ डिजिटल लेंडिंग ऐप्स पर से प्रतिबंध हटाने की रिपोर्ट दी थी।
एमपॉकेट ने कहा कि ऐसे ऐप्स को ब्लॉक करने से उपभोक्ताओं और उधारदाताओं दोनों की सुरक्षा होती है।
स्टार्टअप ने कहा, "एमपॉकेट में हम अपने ग्राहकों को बिना किसी बाधा के सर्वश्रेष्ठ सेवा देना जारी रखते हैं।"
सूत्रों के मुताबिक, इन ऐप्स का इस्तेमाल कर्ज के जाल में फंसे लोगों को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए किया जाता है, कर्ज पर उनका ब्याज 3,000 फीसदी तक बढ़ा दिया जाता है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से इन ऐप के कर्जदारों द्वारा आत्महत्या के कई मामले सामने आने के बाद यह मामला सामने आया था।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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