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कैश खर्च करने वाले हो जाएं सावधान, 10 ट्रांजैक्शन करने पर घर आएगा Income Tax का नोटिस

Shiddhant Shriwas
8 Aug 2021 9:04 AM GMT
कैश खर्च करने वाले हो जाएं सावधान, 10 ट्रांजैक्शन करने पर घर आएगा Income Tax का नोटिस
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इनकम टैक्स के नियम के तहत किसी भी सूरत में 2 लाख से ज्यादा का कैश ट्रांजैक्शन मंजूर नहीं किया गया है. आइए उन 10 ट्रांजैक्शन के बारे में जानते हैं जिसमें अगर नियमों की अनदेखी की तो टैक्स विभाग का नोटिस आ सकता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इनकम टैक्स के नियम के तहत किसी भी सूरत में 2 लाख से ज्यादा का कैश ट्रांजैक्शन मंजूर नहीं किया गया है. आइए उन 10 ट्रांजैक्शन के बारे में जानते हैं जिसमें अगर नियमों की अनदेखी की तो टैक्स विभाग का नोटिस आ सकता है.

मोदी सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए तमाम उपाय किए हैं. इसके बावजूद कुछ लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आते हैं और हर छोटे-बड़े काम में कैश का इस्तेमाल करते हैं. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की छूट अलग से मिलती है. इसके अलावा कैश प्रचलन को कम करने के लिए एटीएम से निकासी के नियम भी सख्त किए गए हैं. इसके बावजूद अगर आप कैश का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं. इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं उन कैश ट्रांजैक्शन के बारे में जिस पर इनकम टैक्स विभाग की नजर होती है. आप अगर चूके तो टैक्स विभाग नोटिस जारी कर सकता है.
मोदी सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए तमाम उपाय किए हैं. इसके बावजूद कुछ लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आते हैं और हर छोटे-बड़े काम में कैश का इस्तेमाल करते हैं. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की छूट अलग से मिलती है. इसके अलावा कैश प्रचलन को कम करने के लिए एटीएम से निकासी के नियम भी सख्त किए गए हैं. इसके बावजूद अगर आप कैश का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं. इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं उन कैश ट्रांजैक्शन के बारे में जिस पर इनकम टैक्स विभाग की नजर होती है. आप अगर चूके तो टैक्स विभाग नोटिस जारी कर सकता है.
अगर एक वित्त वर्ष में सेविंग अकाउंट्स से 10 लाख कैश निकासी की है या फिर जमा किया है तो बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से शेयर करता है. इसमें डिजिटल लेन-देन शामिल नहीं है. करंट अकाउंट के लिए यह कैश लिमिट 50 लाख रुपए है.
अगर एक वित्त वर्ष में सेविंग अकाउंट्स से 10 लाख कैश निकासी की है या फिर जमा किया है तो बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से शेयर करता है. इसमें डिजिटल लेन-देन शामिल नहीं है. करंट अकाउंट के लिए यह कैश लिमिट 50 लाख रुपए है.
अगर एक वित्त वर्ष में फिक्स्ड डिपॉजिट में 10 लाख से ज्यादा जमा किया जाता है तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स विभाग से शेयर की जाती है. इसमें कैश ट्रांजैक्शन के अलावा डिजिटल ट्रांजैक्शन और चेकबुक के माध्यम से ट्रांजैक्शन भी शामिल होते हैं. जिस बैंक के एफडी अकाउंट में इस लिमिट से ज्यादा डिपॉजिट होगा, उसे और जमा करने वाले को इनकम टैक्स से नोटिस आ सकता है.
अगर एक वित्त वर्ष में फिक्स्ड डिपॉजिट में 10 लाख से ज्यादा जमा किया जाता है तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स विभाग से शेयर की जाती है. इसमें कैश ट्रांजैक्शन के अलावा डिजिटल ट्रांजैक्शन और चेकबुक के माध्यम से ट्रांजैक्शन भी शामिल होते हैं. जिस बैंक के एफडी अकाउंट में इस लिमिट से ज्यादा डिपॉजिट होगा, उसे और जमा करने वाले को इनकम टैक्स से नोटिस आ सकता है.
अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो कैश में जमा करने से परहेज करें. एक वित्त वर्ष में अगर क्रेडिट कार्ड बिल के रूप में 1 लाख से ज्यादा कैश जमा किया तो इसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है. अगर क्रेडिट कार्ड का बिल एक वित्त वर्ष में 10 लाख से ज्यादा होता है तो भी टैक्स विभाग नोटिस जारी कर सकता है. इसमें डिजिटल ट्रांजैक्शन समेत कैश ट्रांजैक्शन भी शामिल होते हैं.
अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो कैश में जमा करने से परहेज करें. एक वित्त वर्ष में अगर क्रेडिट कार्ड बिल के रूप में 1 लाख से ज्यादा कैश जमा किया तो इसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को दी जाती है. अगर क्रेडिट कार्ड का बिल एक वित्त वर्ष में 10 लाख से ज्यादा होता है तो भी टैक्स विभाग नोटिस जारी कर सकता है. इसमें डिजिटल ट्रांजैक्शन समेत कैश ट्रांजैक्शन भी शामिल होते हैं.
अगर एक वित्त वर्ष में 10 लाख का डिमांड ड्रॉफ्ट कैश में बनाया जाता है तो बैंक को पैन कार्ड की जानकारी शेयर करनी होगी क्योंकि इसे ट्रैक किया जाता है.
अगर एक वित्त वर्ष में 10 लाख का डिमांड ड्रॉफ्ट कैश में बनाया जाता है तो बैंक को पैन कार्ड की जानकारी शेयर करनी होगी क्योंकि इसे ट्रैक किया जाता है.
इसके अलावा एक वित्त वर्ष में शेयर में 10 लाख से ज्यादा निवेश करने पर कंपनी इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देती है. इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का निवेश शामिल होता है. इसी तरह म्यूचुअल फंड में 10 लाख से ज्यादा निवेश करने पर भी इस ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया जा सकता है.
इसके अलावा एक वित्त वर्ष में शेयर में 10 लाख से ज्यादा निवेश करने पर कंपनी इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देती है. इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का निवेश शामिल होता है. इसी तरह म्यूचुअल फंड में 10 लाख से ज्यादा निवेश करने पर भी इस ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया जा सकता है.
अगर कोई इंडिविजुअल एक वित्त वर्ष में विदेशी टूर पर 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करता है तो इनकम टैक्स विभाग की नजर ऐसे ट्रांजैक्शन पर होती है.
अगर कोई इंडिविजुअल एक वित्त वर्ष में विदेशी टूर पर 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करता है तो इनकम टैक्स विभाग की नजर ऐसे ट्रांजैक्शन पर होती है.
अगर रियल एस्टेट में 30 लाख से ज्यादा निवेश करते हैं तो रजिस्ट्रार इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देता है. इसमें कैश और डिजिटल दोनों तरह के ट्रांजैक्शन शामिल होते हैं.
अगर रियल एस्टेट में 30 लाख से ज्यादा निवेश करते हैं तो रजिस्ट्रार इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देता है. इसमें कैश और डिजिटल दोनों तरह के ट्रांजैक्शन शामिल होते हैं.
अगर कोई सर्विस या प्रोडक्ट खरीदते हैं तो 2 लाख से ज्यादा कैश में लेनदेन नहीं किया जा सकता है. अगर 2 लाख से ज्यादा की ज्वैलरी खरीदी है तो जूलर्स को इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देनी होगी. उसी तरह कार खरीदारी करने पर 2 लाख से ज्यादा कैश में देने पर कार डीलर को इसकी सूचना टैक्स विभाग को देनी होती है.
अगर कोई सर्विस या प्रोडक्ट खरीदते हैं तो 2 लाख से ज्यादा कैश में लेनदेन नहीं किया जा सकता है. अगर 2 लाख से ज्यादा की ज्वैलरी खरीदी है तो जूलर्स को इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देनी होगी. उसी तरह कार खरीदारी करने पर 2 लाख से ज्यादा कैश में देने पर कार डीलर को इसकी सूचना टैक्स विभाग को देनी होती है.
जब किसी इंडिविजुअल को लेकर टैक्स विभाग को ऐसी जानकारी मिलती है तो वह उस शख्स के रिटर्न की जांच करता है. अगर रिटर्न फाइलिंग और इन खर्च में असमानताएं हैं तो टैक्स विभाग नोटिस जारी करता है.
जब किसी इंडिविजुअल को लेकर टैक्स विभाग को ऐसी जानकारी मिलती है तो वह उस शख्स के रिटर्न की जांच करता है. अगर रिटर्न फाइलिंग और इन खर्च में असमानताएं हैं तो टैक्स विभाग नोटिस जारी करता है
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