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नई दिल्ली | हाल ही में 20 जुलाई को केंद्र सरकार ने भारत से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने कहा कि चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए यह कदम उठाया गया है. लेकिन क्या चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का यही एकमात्र कारण है, क्या सरकार इस प्रतिबंध को वापस लेगी? नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने इस संबंध में कई संकेत दिये हैं.
बता दें कि दुनिया के 40 फीसदी चावल निर्यात पर भारत का राज है. इसीलिए जब भारत ने चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया तो दुबई से लेकर अन्य खाड़ी देशों तक, जहां चावल की बहुत खपत होती है, हंगामा मच गया। वहीं, अमेरिका जैसे देश में सुपर मार्केट के बाहर लंबी कतारें देखने को मिलीं. भारत 140 से अधिक देशों को चावल निर्यात करता है।
सरकार ने चावल निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगाया?
इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य और कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद ने कहा कि भारत इस साल भी 20 मिलियन टन से अधिक चावल निर्यात करेगा. इससे देश की खाद्य सुरक्षा पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. हालाँकि, भारत को 'गैर-बासमती सफेद चावल' का निर्यात रोकना पड़ा है। इसका कारण वैश्विक बाजारों में चावल की अधिक मांग है। अगर सरकार ने इस चावल के निर्यात पर रोक नहीं लगाई होती तो देश से 3 करोड़ टन से ज्यादा चावल का निर्यात हो चुका होता.
उन्होंने कहा कि जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, खाने-पीने की चीजों की कीमतें बेतहाशा बढ़ गई हैं. पिछले 6 से 7 महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल और चीनी की कीमतें काफी बढ़ गई हैं और इनकी मांग भी काफी ज्यादा है. इससे घरेलू बाजार पर असर पड़ने की संभावना थी. वहीं, सरकार द्वारा दूसरे देशों की सरकार के साथ गैर-बासमती चावल का निर्यात अभी भी जारी है।
फसल की पैदावार में गिरावट
चावल पर प्रतिबंध का दूसरा कारण अल नीनो के कारण इस साल मानसून को लेकर अनिश्चितता है। फिर बारिश देर से होने के कारण बुआई में देरी हुई। इसके बाद बाढ़ के कारण कई इलाकों में फसल बर्बाद हो गई. इन सभी कारणों से सरकार ने सतर्क रुख अपनाया और चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।
निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाया जा सकता है
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि सरकार चावल निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा सकती है. यह अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग पर निर्भर करेगा. सरकार इस बात का इंतजार कर रही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की मांग एक बार कम हो जाए ताकि चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाया जा सके. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि इस साल फसल कैसी है. सितंबर-अक्टूबर तक नई फसल का अनुमान लगाया जाएगा, जिसके आधार पर सरकार आगे का फैसला लेगी.
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Harrison
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