अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो दो तरह के ट्रांसलेशन वाली कारें होती हैं- एक मैनुअल ट्रांसमिशन और दूसरा ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन. हालांकि, ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन के भी कई प्रकार होते हैं, जैसे- सीवीटी, डीसीटी, आईएमटी (इसमें क्लच नहीं होता लेकिन गियर लीवर होता है) आदि. लेकिन, अगर सिर्फ ऊपरी तौर पर देखा जाए तो मैनुअल ट्रांसमिशन और ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन होता है. ऐसे में जो लोग मैनुअल ट्रांसमिशन की कार ड्राइव करते हैं, उनके लिए ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कार ड्राइव करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारों में फिजिकल क्लच नहीं होता है और ना ही गियर लीवर होता है. इनका काम कार खुद करती है.
ऐसे में जो लोग मैनुअल कार ड्राइव करते हैं, वह अगर अचानक से ऑटोमेटिक कार ड्राइव करने लगें तो उनसे कभी-कभी ऐसी गलती हो जाती हैं, जो उन्हें भारी नुकसान पहुंचा सकती है. दरअसल, मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कार ड्राइव करते समय दोनों पैरों का इस्तेमाल होता है. बायां पैर क्लच पर इस्तेमाल होता है जबकि दायां पैर ब्रेक और एक्सीलेटर पर इस्तेमाल होता है. अब जब मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कार चलाने वाला व्यक्ति अचानक से ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कार ड्राइव करने बैठता है, तो उसका बायां पैर कभी-कभी खुद से एक्शन में आ जाता है और जब वह एक्शन में आता है तो पैर सीधे ब्रेक पेडल पर पहुंच जाता है क्योंकि लेफ्ट पैर को सबसे पहला पेडल वही मिलता है.
लेफ्ट पैर को आदत होती है तेजी से पेडल दबाने की. ऐसे में जब वह ब्रेक पर तेजी से फोर्स लगाता है तो चलती हुई कार अचानक से रुक जाएगी. अगर आपकी कार की स्पीड इतनी तेज हुई, जिसके अचानक से रुकने पर हादसा हो जाए, तो जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है. यह हादसा कितना भी बड़ा हो सकता है. अगर उस समय आपके पीछे कोई बड़ा मोटर वाहन आ रहा होगा, तो हादसे की गंभीरता और ज्यादा बढ़ सकती है. ऐसे में जब भी ऑटोमेटिक कार ड्राइव करने बैठें तो इस चीज को बहुत स्पष्ट तरीके से अपने दिमाग में बैठा लें कि लेफ्ट पैर का इस्तेमाल कहीं भी और किसी भी स्थिति में नहीं करना है, वरना यह गलती बहुत भारी पड़ सकती है.