भारतीय परंपराओं में सोने में निवेश शुभ माना जाता है. इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत की है. इस योजना की शुरुआत नवंबर 2015 में हुई थी. इसका मकसद भौतिक रूप से सोने की मांगों में कमी लाना है, यानी लोग ज्वेलरी के बदल गोल्ड बॉन्ड खरीदें। कोरोना संकट के दौरान अगस्त में सोने की कीमत भारत में 56,200 रुपये तक चली गई थी, जिसमें अब तक करीब 8000 रुपये की गिरावट आई है. क्या सोने में निवेश के लिए यह सही वक्त है? अगर आप सोने में निवेश के लिए सोच रहे हैं तो फिर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में पैसे लगा सकते हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की 12वीं सीरीज 1 मार्च से ओपन हो रही है और 5 मार्च तक आप इसमें निवेश कर पाएंगे. चालू वित्त वर्ष की यह आखिरी सीरीज है. सबसे खास बात यह है कि इस बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमत 10 महीने में सबसे कम है. यानी 10 महीने के निचले स्तर पर है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बार गोल्ड सब्सक्रिप्शन की कीमत 4,662 रुपये प्रति ग्राम तय की है. इससे पहले चालू वित्त वर्ष की दूसरी सीरीज में यानी मई-2020 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कीमत 4,590 रुपये प्रति ग्राम थी. वहीं 11वीं सीरीज (फरवरी-2020) में बॉन्ड की कीमत 4,912 रुपये प्रति ग्राम थी.
हर बार की तरह इस बार भी ऑनलाइन आवेदन करने वाले निवेशकों को बॉन्ड की तय कीमत पर प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट दी जाएगी. यानी डिजिटल भुगतान करने पर एक ग्राम सोने के लिए 4612 रुपये पेमेंट करना होगा. फिजिकल गोल्ड की बजाए गोल्ड बॉन्ड को मैनेज करना आसान और सेफ होता है. सरकारी गोल्ड बॉन्ड की कीमत बाजार में चल रहे सोने के रेट से कम होती है. बॉन्ड के तौर पर आप सोने में न्यूनतम एक ग्राम और अधिकतम चार किलो तक निवेश कर सकते हैं. ट्रस्ट और वित्तीय वर्ष के समान इकाइयों के मामले में निवेश की ऊपरी सीमा 20 किलोग्राम है. इसपर टैक्स भी छूट मिलती है. इसके अलावा स्कीम के जरिए बैंक से लोन भी लिया जा सकता है.
गोल्ड बॉन्ड में किसी तरह की धोखाधड़ी और अशुद्धता की संभावना नहीं होती है. ये बॉन्ड्स 8 साल के बाद मैच्योर होंगे. मतलब साफ है कि 8 साल के बाद भुनाकर इससे पैसा निकाला जा सकता है. यहीं नहीं, पांच साल के बाद इससे बाहर निकलने का विकल्प भी होता है. जैसे ही सोने की कीमतों में इजाफा होता है, वैसे ही गोल्ड बॉन्ड निवेशकों को इसका फायदा मिलता है. ये बॉन्ड पेपर और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होते हैं. जिससे आपको फिजिकल गोल्ड की तरह लॉकर में रखने का खर्च भी नहीं उठाना पड़ता. इस गोल्ड की बिक्री बैंकों, डाकघरों, एनएसई और बीएसई के अलावा स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के जरिए होती है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में प्रारंभिक निवेश की राशि पर प्रति वर्ष 2.50 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाता है. ब्याज निवेशक के बैंक खाते में अर्ध-वार्षिक रूप से जमा किया जाता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टीडीएस लागू नहीं है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की परिपक्वता पर, गोल्ड बॉन्ड को भारतीय रुपये में भुनाया जाता है. यह पैसा सीधे निवेशक के बैंक खाते में भेज दिया जाता है.
अगर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने वाली की मृत्यु हो जाती है तो भी आरबीआई ने नियम एकदम साफ बनाए हुए हैं. ऐसी स्थिति में बॉन्ड के लिए नामित व्यक्ति अपने दावे के साथ संबंधित प्राप्ति कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं.