मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक बार फिर लोगों को सस्ते में सोना खरीदने का मौका दे रहा है. आरबीआई ने बताया कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 2021-22 (SGB Scheme 2021-22) के लिए इश्यू प्राइस तय कर दिया गया है. रिजर्व बैंक के मुताबिक, इस बार योजना के तहत गोल्ड की कीमत (Gold Price) मौजूदा बाजार भाव से थोड़ी ज्यादा यानी 4,889 प्रति ग्राम तय की गई है. योजना के तहत तीसरी किस्त सब्सक्रिप्शन (SGB Subscription) के लिए 31 मई से 4 जून 2021 तक 5 दिन के लिए खुली रहेगी. इससे पहले केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि मई 2021 से सितंबर 2021 के बीच 6 किस्तों में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी किए जाएंगे. इनमें दो किस्तें पहले जारी हो चुकी हैं.
केंद्र सरकार की ओर से बॉन्ड जारी करने वाले रिजर्व बैंक ने बताया कि एसजीबी का इश्यू प्राइस (Issue Price) 24 कैरेट गोल्ड के पिछले 3 कारोबारी सत्र के दौरान बंद भाव के औसत के आधार पर तय किया जाता है. ऐसे में इस बार गोल्ड बॉन्ड का इश्यू प्राइस 4,889 रुपये प्रति ग्राम तय हुआ है यानी 10 ग्राम सोने की कीमत 48,890 रुपये होगी. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 12 किस्त में 16,049 करोड रुपये (31.35 टन) के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी किए थे. वहीं, मार्च 2021 के अंत तक एसजीबी स्कीम के जरिये केंद्र सरकार 25,702 करोड़ रुपये जुटा चुकी है. केंद्र ने फिजिकल गोल्ड की मांग घटाने के लिए नवंबर 2015 में ये स्कीम लॉन्च की थी.
गोल्ड बॉन्ड को ऑनलाइन खरीद सकते हैं. इसके अलावा इसकी बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), चुनिंदा डाकघरों और एनएसई व बीएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज के जरिए भी होगी. स्माल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक में इनकी बिक्री नहीं होती है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में एक वित्त वर्ष में एक व्यक्ति अधिकतम 4 किग्रा सोने के बॉन्ड खरीद सकता है. वहीं न्यूनतम निवेश एक ग्राम का होना जरूरी है. वहीं, ट्रस्ट या उसके जैसी संस्थाएं 20 किग्रा तक के बॉन्ड खरीद सकती हैं. रिजर्व बैंक के मुताबिक, गोल्ड बांड को ऑनलाइन खरीदने पर प्रति ग्राम 50 रुपये की छूट (Gold Price Discount) मिलेगी. आसान शब्दों में समझें तो ऑनलाइन गोल्ड बॉन्ड खरीदने वालों को इश्यू प्राइस 4,839 रुपये प्रति ग्राम पड़ेगा.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश किस तरह है फायदेमंद
>> मेच्योरिटी पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड टैक्स फ्री होता है.
>> केंद्र सरकार समर्थित होने के कारण डिफॉल्ट का जोखिम नहीं है.
>> फिजिकल गोल्ड के बजाय गोल्ड बांड को मैनेज करना आसान होता है.
>> इसमें प्योरिटी का कोई झंझट नहीं होता और कीमतें 24 कैरेट गेाल्ड के आधार पर तय होती हैं.
>> इसमें एग्जिट के आसान विकल्प हैं. गोल्ड बांड के अगेंस्ट लोन की सुविधा मिलती है.
>> इसका मैच्योरिटी पीरियड 8 साल होता है. साथ ही 5 साल बाद बेचने का विकल्प मिल जाता है.