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Business: म्यूचुअल फंड की ये स्कीम 10,000 रूपए की मंथली इन्वेस्टमेंट में आपको बना देगी करोड़पति

Admindelhi1
7 Oct 2024 10:47 AM GMT
Business: म्यूचुअल फंड की ये स्कीम 10,000 रूपए की मंथली इन्वेस्टमेंट में आपको बना देगी करोड़पति
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निवेश किया जाए तो करोड़ों रुपये से ज्यादा का फंड बनाया जा सकता है

बिज़नेस: अगर एसआईपी के जरिए लंबी अवधि का निवेश किया जाए तो करोड़ों रुपये से ज्यादा का फंड बनाया जा सकता है। इक्विटी म्यूचुअल फंड की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिन्होंने अनुशासन के साथ एसआईपी के जरिए निवेश करने वाले निवेशकों को करोड़पति बनाया है। आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंडिया जेननेक्स्ट फंड ऐसी ही एक योजना है। इसने 19 साल तक हर महीने 10,000 रुपये निवेश करके 1.60 करोड़ रुपये का फंड बनाया है। हर महीने 10,000 रुपये का मतलब है एक साल में 1.20 लाख रुपये का निवेश। इसका मतलब है कि 22.8 रुपये का निवेश 19 साल में 1.60 करोड़ रुपये हो गया।

अगस्त 2005 में शुरू हुई थी यह योजना: आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंडिया जेननेक्स्ट फंड की शुरुआत अगस्त 2005 में हुई थी। यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी फंड है, जो कंजम्पशन थीम पर निवेश करता है। यह भारत में कामकाजी लोगों की बढ़ती संख्या, लोगों की बढ़ती आय और हाई वैल्यू खर्च पैटर्न पर दांव लगाता है। अगर इस फंड के लॉन्च के समय अगस्त 2005 में 1 लाख रुपये का निवेश किया गया होता, तो आज यह 2.35 लाख रुपये हो गया होता। इस फंड का एक साल का CAGR रिटर्न 17.68 फीसदी, 3 साल का 22.38 फीसदी और 5 साल का 18.84 फीसदी रहा है।

बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न: आदित्य बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड की इस स्कीम ने निवेशकों को अपने बेंचमार्क इंडेक्स से ज्यादा रिटर्न दिया है। निफ्टी इंडिया कंजम्पशन TRI इसका बेंचमार्क इंडेक्स है। इसका तीन साल का रिटर्न 21.78 फीसदी रहा है। इस फंड का प्रबंधन चंचल खंडेलवाल करते हैं। वे 2015 से इस फंड का प्रबंधन कर रहे हैं। यह फंड लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि चाहने वाले निवेशकों के बीच लोकप्रिय रहा है।

थीमैटिक फंड में निवेश में जोखिम: यह थीम आधारित फंड है। थीम आधारित फंड में निवेश के अपने जोखिम होते हैं। उदाहरण के लिए, ऐसे फंड में निवेश करने के लिए कंपनियों या सेक्टर का दायरा सीमित होता है। कई बार अगर थीम से जुड़ी कंपनियों का प्रदर्शन खराब होता है तो इसका असर फंड पर भी पड़ता है। इसलिए अगर आप इस फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको अपने पर्सनल एडवाइजर से सलाह लेने के बाद ही फैसला लेना चाहिए।

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