Business : नई पीएम आवास योजना से मीडिल क्लास की परिभाषा तय होगी

प्रधानमंत्री आवास योजना जून 2015 में 'सभी के लिए आवास' के उद्देश्य से शुरू की गई थी। अब इसकी समय सीमा दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी गई है। 01 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट भाषण में ऐलान किया था कि मीडिल क्लास के लोगों को किफायती घर मुहैया कराने …
प्रधानमंत्री आवास योजना जून 2015 में 'सभी के लिए आवास' के उद्देश्य से शुरू की गई थी। अब इसकी समय सीमा दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी गई है। 01 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट भाषण में ऐलान किया था कि मीडिल क्लास के लोगों को किफायती घर मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार एक नई योजना शुरू करेगी। घोषणा के साथ ही बड़ा सवाल ये उठा है कि आखिर देश में मीडिल क्लास का पैमाना क्या है। इसके साथ ही मीडिल क्लास की गिनती भी शुरू हो गई है। इस घोषणा का क्या मतलब है और भारत में मीडिल क्लास कौन है?
क्या है मीडिल क्लास आवास योजना: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत निम्न और मध्यम आय वाले भारतीयों के लिए किफायती आवास तक पहुंच को सक्षम करने के बाद, वित्त वर्ष-2025 के बजट में मीडिल क्लास के लिए आवास का प्रस्ताव रखा गया है। सरकार किराए के घरों, झुग्गियों, चॉल और अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले मीडिल क्लास को अपना घर खरीदने या बनाने में मदद करने के लिए एक योजना शुरू करेगी।
बात दें कि यह 'सभी के लिए आवास' नीति का एक हिस्सा है, लेकिन यह ‘पीएमएवाई’ का विस्तार नहीं है। यह एक नई योजना है, जिसके लिए सरकार लाभार्थियों की पहचान करने के लिए आय स्तर, स्थान और आवास के प्रकार का उल्लेख करेगी।
मीडिल क्लास की वार्षिक घरेलू आय का अनुमान :
- 02 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच (एनसीएईआर-2010)
- 03 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच (सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट-2012)
- 05 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच (प्राइस सर्वे-2022)
(नोट :- अनुमानित आंकड़ा, 10-50 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से परिवर्तित किया गया, जिसमें डॉलर को 82 रुपये माना गया है)
भारत में मीडिल क्लास कौन है: पश्चिमी देशों में यह शब्द संपन्न व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है, लेकिन इसकी कोई भारतीय परिभाषा नहीं है। कई सर्वेक्षणों ने मीडिल क्लास के समूह को परिभाषित करने के लिए आय के स्तरों की पहचान करने का प्रयास किया है। पीपल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (प्राइस) की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना 15-30 लाख रुपये कमाने वाले परिवार मीडिल क्लास के हैं।
एक दशक पुराने डाटा पर आधारित विश्लेषण से पता चलता है कि कई लोग जो खुद को मीडिल क्लास के रूप में वर्णित करते हैं, वे वास्तव में आबादी के शीर्ष 1-5 प्रतिशत में आ सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वास्तव में मध्यम परिवारों की आय बहुत कम है। उपभोक्ता व्यय और जनगणना डाटा आने के बाद ही इस सीमा का पता चल सकेगा।
मीडिल क्लास को कैसे परिभाषित करें: वैश्विक स्तर पर विद्वानों ने अलग-अलग तरीकों से मीडिल क्लास की पहचान करने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक कोई सार्वभौमिक बात सामने नहीं आई है। ब्रुकिंग्स की एक रिपोर्ट कहती है कि परिभाषा का आधार तीन व्यापक श्रेणियों में से एक में आता है। नकदी, जो आय से संबंधित है। प्रमाणपत्रों के दर्ज शैक्षिक उपलब्धियां और योग्यताएं शामिल हैं और संस्कृति, जिसमें दृष्टिकोण और मानसिकता शामिल है।
क्या टैक्स रिटर्न डाटा से पता चलेगा: हाल के वर्षों में, टैक्स कलेक्शन में सुधार हुआ है। पिछले साल जारी आंकड़ों के मुताबिक, सालाना 9-15.5 लाख की आय सीमा में सबसे ज्यादा टैक्स रिटर्न दाखिल किए गए थे। 2018-19 तक, 33 प्रतिशत आयकर दाखिल करने वाले 15 लाख तक के अंदर थे, 29 प्रतिशत लोग 15-10 लाख के अंदर थे और 38 प्रतिशत लोग 10 लाख से ऊपर थे। एसबीआई के 2023 के एक अध्ययन के अनुसार, कर दाखिल करने वालों के बीच भारित औसत आय आकलन वर्ष- 2011-12 में 12.3 लाख से बढ़कर अब 13 लाख हो गई है।
योजना कैसे मददगार होगी: भारत के तेजी से बढ़ते महत्वाकांक्षी मीडिल क्लास ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है, लेकिन वास्तव में मीडिल क्लास कौन है, इसके बारे में बहुत कम जानकारी है। सरकार द्वारा लाभार्थियों की पहचान के लिए मानदंड तैयार करने के बाद ही पता चल सकेगा कि देश में मीडिल क्लास कौन है। फिलहाल नए उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण और जनगणना के नतीजे जल्द आने की संभावना नहीं है। ऐसे में आय के स्तर, स्थान और आवास इस योजना के लाभार्थी यानी मीडिल क्लास को वर्गीकृत करने का आधार बन सकते हैं।
