Business: दुनियाभर के शेयर बाजारों में निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी कम कर दी
बिज़नस: अमेरिका से एक बार फिर मंदी के संकेत मिल रहे हैं। इसके चलते दुनियाभर के शेयर बाजारों में निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी कम कर दी है। साथ ही कई बड़ी कंपनियों ने छंटनी के नाम पर लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। इससे पहले 2008 की महामंदी के दौरान भी अलग-अलग सेक्टर से लाखों लोगों की छंटनी हुई थी। ऐसे में एक बार फिर मंदी के चलते नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। अगर मंदी ने विकराल रूप लिया तो भारत में वो कौन से सेक्टर होंगे जिनमें छंटनी का सबसे ज्यादा डर है। आइए जानते हैं।
इन 3 सेक्टर के लोगों को झेलनी पड़ सकती है मंदी की मार: अगर मंदी के चलते अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो इसका असर पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत पर भी पड़ेगा। अमेरिका में मांग में कमी आने की वजह से इसका असर भारत से होने वाले निर्यात पर भी पड़ेगा। चूंकि, आईटी, फार्मा और टेक्सटाइल इंडस्ट्री काफी हद तक अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं, इसलिए मंदी से सबसे ज्यादा असर इन तीन सेक्टर पर पड़ सकता है। इसके साथ ही इन सेक्टर में काम करने वाले लोगों को छंटनी की मार भी झेलनी पड़ सकती है।
वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर भी पड़ेगा असर: मंदी का असर वैश्विक आपूर्ति शृंखला पर भी पड़ेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है। निर्यात में कमी का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। आपको बता दें कि अमेरिका में मंदी को लेकर कई संकेत दिखाई दे रहे हैं। इनमें जनवरी 2024 के निचले स्तर से बेरोजगारी के आंकड़े काफी बढ़ गए हैं। इतना ही नहीं जुलाई 2024 में बेरोजगारी दर 4.3 फीसदी पर पहुंच गई है, जो पिछले तीन सालों का सबसे ऊंचा स्तर है।
भारत में घट सकता है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: अगर अमेरिका की आर्थिक कमजोरी मंदी में तब्दील होती है तो इसकी वजह से दुनियाभर के निवेशकों का भरोसा कम होगा। इसका नतीजा यह होगा कि भारत में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई में कमी आ सकती है। इसके अलावा अमेरिकी मंदी का असर टेक सेक्टर पर भी पड़ेगा। पिछले कुछ महीनों में इस सेक्टर से दुनियाभर में 1.30 लाख नौकरियां खत्म हुई हैं। छंटनी करने वाली कंपनियों में माइक्रोसॉफ्ट के अलावा इंटेल, सिस्को जैसे बड़े नाम शामिल हैं।