बिज़नस: भारत एशिया की रियल एस्टेट राजधानी बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर में हो रहे विकास पर नजर डालें तो भारत जल्द ही चीन को पीछे छोड़ देगा। चीन का रियल एस्टेट बाजार जहां सरकारी प्रतिबंधों और मांग में मंदी के चलते महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है वहीं देश की रियल एस्टेट कंपनियों की कुल संपत्ति 36 अरब डालर हो गई है।
2024-25 में आवासीय बिक्री में बढ़ोतरी: ग्रोहे-हुरून इंडियन रियल एस्टेट 100 रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में आवासीय बिक्री में 10-12 की वृद्धि होने की उम्मीद है। हुरून इंडिया के संस्थापक और मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने कहा कि हर साल लगभग चार अरब डालर का बढ़ता विदेशी निवेश रियल एस्टेट के विकास को बढ़ाने योगदान दे रहा है।सूची में शामिल 100 कंपनियों में से 60 ऐसी हैं जो अपने मुख्यालय स्थित शहर से अलग दूसरे प्रांतों के शहरों में भी काम कर रही हैं। उनका यह कदम रियल एस्टेट क्षेत्र में राष्ट्रीय ब्रांड निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति का संकेत देता है।
चीन से आगे है भारत: सूची में शामिल छह कंपनियां ऐसी हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति है और भारतीय रियल एस्टेट कंपनियों की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को प्रदर्शित करती है। डीएलएफ 2,02,140 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ सूची में शीर्ष रियल एस्टेट कंपनी के रूप में उभरी है। इसके बाद मैक्रोटेक डेवलपर्स 1,36,730 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ दूसरे और इंडियन होटल्स कंपनी 79,150 करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ तीसरे स्थान पर रही।शीर्ष 10 कंपनियों में से 60 प्रतिशत का मुख्यालय मुंबई में है जबकि दो कंपनियों का बेंगलुरु में एक-एक का गुरुग्राम और अहमदाबाद में है। सूची को देखने से पता चलता है कि टियर-2 शहरों से आने वाले उद्यमी कुछ सबसे प्रभावशाली रियल एस्टेट कंपनियों के मालिक हैं। सूची में शामिल पांच प्रतिशत कंपनियां ऐसी हैं, जिनका संबंध टियर-2 शहरों से है।