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बजट एक्सपेक्टेशन: बजट में मांग आधारित कृषि के लिए नई योजनो की हो सकती है प्रावधान
Apurva Srivastav
31 Jan 2022 4:30 PM GMT
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2022 का बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी। बजट में देश की अर्थव्यस्था में सुधार और आम लोगों को फायदा मिले, ऐसे कार्यों का लेखा-जोखा होता है।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वर्ष 2022 का बजट 1 फरवरी को पेश करेंगी। बजट में देश की अर्थव्यस्था में सुधार और आम लोगों को फायदा मिले, ऐसे कार्यों का लेखा-जोखा होता है। 31 जनवरी को संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र की शुरुआत हो गई. इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। इस बार के बजट से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार कृषि कर्ज लक्ष्य को बढ़ाकर लगभग 18 लाख करोड़ रुपये कर सकती है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार का कृषि कर्ज लक्ष्य 16.5 लाख करोड़ रुपये का है। न्यूज एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, सरकार हर साल कृषि क्षेत्र के लिए कर्ज लक्ष्य बढ़ा रही है और इस बार भी 2022-23 के लिए लक्ष्य को बढ़ाकर 18-18.5 लाख करोड़ रुपये कर सकती है।
इस बार तरीका थोड़ा बदल सकता है। सब्सिडी का रूप भी बदल सकता है और परंपरागत खेती की जगह मांग आधारित कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए विविधीकरण की नई स्कीम लाई जा सकती है। फसलों का उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने वाली राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के साथ दलहन व तिलहन की खेती के लिए चलाए जा रहे मिशन को आगे बढ़ाया जाएगा।
कृषि और खाद्य क्षेत्र में दी जा रही सब्सिडी को खत्म करना सरकार के लिए बिल्कुल आसान नहीं है, लेकिन वर्ष 2023 में डब्लूटीओ के प्रविधानों के तहत सब्सिडी के तौर-तरीके बदलने होंगे। माना जा रहा है कि इससे कृषि मंत्रालय के अन्य प्रमुख मदों के बजट में कटौती हो सकती है। राजनीतिक वजह से पीएम-किसान निधि पर खर्च होने वाले 80 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान आम बजट में करना ही होगा। एमएसपी पर हो रही सरकारी खरीद के लिए करीब पौने दो लाख करोड़ रुपये का बजट प्रविधान भी करना होगा। इसी तरह कुल 6.2 करोड़ टन अनाज राशन प्रणाली के तहत अति रियायती दरों पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत ढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी का बंदोबस्त करना होगा।
सरकार बैंकिंग क्षेत्र के लिए फसल कर्ज लक्ष्य सहित वार्षिक कृषि कर्ज निर्धारित करती है। पिछले कुछ वर्षों में कृषि कर्ज प्रवाह में लगातार वृद्धि हुई है, जो प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य से अधिक होती है। 2017-18 में किसानों को 11.68 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया, जो उस वर्ष के लिए निर्धारित 10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से बहुत अधिक है। इसी तरह, वित्तीय वर्ष 2016-17 में 10.66 लाख करोड़ रुपये के फसल कर्ज वितरित किए गए, जो 9 लाख करोड़ रुपये के कर्ज लक्ष्य से अधिक है।
कृषि सेक्टर में परंपरागत खेती की विकास दर किसी भी हाल में एक से डेढ़ प्रतिशत से आगे नहीं खिसक पा रही है। उसे रफ्तार पकड़ाने में खेती से संबद्ध अन्य क्षेत्रों की अहम भूमिका है। इसमें पशुधन विकास, डेयरी, पोल्ट्री, मस्त्य और बागवानी जैसे जैसे क्षेत्र ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इससे जहां लोगों को रोजी रोजगार के साधन मुहैया हुए तो किसानों की आमदनी बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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