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शेयरों की कीमत बढ़ने पर पिछले वित्त वर्ष अव्वल रहा ब्राइटकॉम ग्रुप और टाटा टेलीसर्विसेज रही रनर अप
Deepa Sahu
2 April 2022 2:55 PM GMT
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गत वित्त वर्ष निवेशकों को रिटर्न देने के मामले में डिजिटल मार्केटिंग कंपनी ब्राइटकॉम ग्रुप सबसे आगे रही।
नयी दिल्ली: गत वित्त वर्ष निवेशकों को रिटर्न देने के मामले में डिजिटल मार्केटिंग कंपनी ब्राइटकॉम ग्रुप सबसे आगे रही। कंपनी के शेयरों के दाम इस दौरान 2,500 प्रतिशत उछल गये। पिछले वित्त वर्ष शेयरों के दाम बढ़ने की रेस में अव्वल ब्राइटकॉम ग्रुप रहा, जिसके शेयरों के दाम इस अवधि के दौरान चार रुपये से 2,500 प्रतिशत बढ़कर 102 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गये। पिछले एक साल में ब्राइटकॉम ग्रुप ने अपने शेयरों पर दांव लगाने वाले निवेशकों की किस्मत के ताले खोल दिये हैं।
साल 1999 में स्थापित हैदराबाद की यह कंपनी डिजिटल मार्केटिंग और विज्ञापन के क्षेत्र में काम करती है। दिसंबर 2021 में कंपनी ने 566 करोड़ रुपये के सौदे में डिजिटल मार्केटिंग फर्म मीडियामिंट की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली। रेस में दूसरे स्थान पर टाटा समूह की अनुषंगी इकाई टाटा टेलीसर्विसेज रही। आलोच्य वित्त वर्ष के दौरान इसके शेयरों की कीमत 1,201 प्रतिशत बढ़कर 13 रुपये से 175 रुपये प्रति शेयर हो गयी।
मुंबई स्थित टाटा टेलीसर्विसेज ब्रॉडबैंड, दूरसंचार और क्लाउड सेवाओं का कारोबार करती है। कंपनी के शेयर की कीमतों में वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब प्रमुख भारतीय दूरसंचार संचालकों ने अपने प्रीपेड टैरिफ में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि की है।
इसके अलावा रतनइंडिया इंटरप्राइजेज, 3आई इंफोटेक और जीआरएम ओवरसीज के शेयरों की कीमत में क्रमश: 817 फीसदी, 560 फीसदी और 425 फीसदी की तेजी आई है। आलोच्य वित्त वर्ष में जिंदल वल्र्डवाइड, खेतान केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स, विष्णु केमिकल्स, एंज वन, गोकलदास एक्सपोर्ट्स और नाहर पॉलीफिल्म्स सभी कंपनियों के शेयरों में 400 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। विश्लेषकों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023 में भी निवेशकों का सकारात्मक रूझान जारी रहेगा। हालांकि, कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण महंगाई पर निवेशकों की नजर रहेगी।
रेलीगेयर ब्रोकिंग में शोध उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा ने कहा, चार अप्रैल और छह अप्रैल को पीएमआई आंकड़े जारी होंगे। इसके अलावा आठ अप्रैल को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक होनी है। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध और अंतर्राष्ट्रीय बाजार मेंकच्चे तेल कीमतें भी निवेश धारणा को प्रभावित करेंगी।
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