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कर्जदार : नए कृषि कानूनों से किसानों की स्थिति बेहतर होने का अनुमान

Shiddhant Shriwas
15 Sep 2021 1:40 PM GMT
कर्जदार : नए कृषि कानूनों से किसानों की स्थिति बेहतर होने का अनुमान
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2018 की तुलना में वर्ष 2021 के कोरोना काल में शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में कुल कर्ज दोगुना हो गया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश की अर्थव्यवस्था की हालत कोरोना काल के पहले ही काफी बुरी थी। इससे लोगों पर कर्ज का बोझ दोगुना हो गया है। वर्ष 2012 की तुलना में 2018 में शहरी क्षेत्र के लोगों पर कर्ज की राशि में 42 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 84 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई थी। इस दौरान देश के 18 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में औसत कर्ज बढ़कर दो गुना से अधिक हो गया था। महाराष्ट्र और राजस्थान उन पांच राज्यों में शामिल हैं जहां औसत कर्ज ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में दोगुना तक बढ़ गया।

कोरोना काल की वजह से ये स्थिति और खराब हुई है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2018 की तुलना में वर्ष 2021 के कोरोना काल में शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में कुल कर्ज दोगुना हो गया है। लोगों को अपनी कीमती चीजें गिरवी रखकर अपना कामकाज चलाना पड़ा है, या वैकल्पिक कर्ज की व्यवस्था करनी पड़ी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में 2012 में कर्ज और संपत्ति का अनुपात 3.2 था जो 2021 में बढ़कर 3.8 हो गया था। इसी तरह शहरी क्षेत्रों के लोगों के लिए यह आंकड़ा 3.7 से बढ़कर 4.4 हो गया था। रिपोर्ट में नए कृषि कानूनों को देश के किसानों के लिए बेहतर बताया गया है। अनुमान लगाया गया है कि इससे देश के किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और उनके कर्ज की स्थिति में गिरावट आएगी। हालांकि, इसके बाद भी किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाने की जरूरत है।

इस दौरान किसानों के महाजनों से कर्ज लेने की निर्भरता में काफी कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार 2012 में किसानों द्वारा लिए गए कुल कर्ज में गैर-वित्तीय संस्थाओं (महाजनों) द्वारा लिए गए कर्ज का हिस्सा 44 फीसदी तक था जो 2018 में घटकर 34 प्रतिशत तक रह गया। माना जा रहा है कि यह कमी नए कृषि कानूनों, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं में किसानों को मिल रही वित्तीय सहायता के कारण आई है।

अभी किसानों को नया कर्ज लेने के लिए पुराना कर्ज मूल और ब्याज सहित चुकाना पड़ता है, जबकि अन्य क्षेत्रों में पुराने कर्ज पर चल रहे ब्याज को चुका देने के बाद कर्जधारकों को नया कर्ज लेने की अनुमति मिल जाती है। सुझाव दिया गया है कि अगर बैंक किसानों की आर्थिक स्थिति और कर्ज लौटाने की क्षमता से संतुष्ट है तो इसी तरह किसानों को भी पुराना कर्ज चलते रहने के दौरान नया कर्ज लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे किसान अपनी जरूरतों के अनुसार नया कर्ज ले सकेंगे।

अर्थव्यवस्था में सुधार के मजबूत संकेत- भाजपा

आर्थिक मामलों के जानकार और भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राजीव जेटली ने अमर उजाला से कहा कि हर तरह से अर्थव्यवस्था के बेहतर होने का संकेत मिल रहा है। आरबीआई ने देश की जीडीपी में 9 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया है। एनएसएसओ ने बताया है कि इस वर्ष फॉर्मल सेक्टर और नॉन-फॉर्मल सेक्टर में नौकरियों की संख्या बढ़ रही है। एक अन्य एजेंसी का अनुमान है कि इस वर्ष त्योहारी सीजन में ज्यादातर कंपनियां पिछली बार की तुलना में ज्यादा लोगों की नियुक्ति करने जा रही हैं।

राजीव जेटली के अनुसार, कोरोना के कारण लोगों की नौकरियां जाने और कामकाज ठप होने से अर्थव्यवस्था पर बेहद बुरा असर पड़ा था जिससे लोगों को कर्ज के जाल में उलझना पड़ा। लेकिन जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही है, सभी क्षत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे लोगों की स्थिति बेहतर होगी।

नए कृषि कानूनों से किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होने के सवाल पर भाजपा नेता ने कहा कि सभी किसान नेता यह जानते हैं कि ये कानून किसानों की बेहतरी के लिए हैं, लेकिन राजनीतिक कारणों से किसानों को भड़काकर लाभ लेने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब में प्राइवेट सेक्टर कृषि में भारी निवेश कर रहा है, जिससे पंजाब के किसानों को लाभ हो रहा है, लेकिन वही कानून देश के बाकी हिस्सों में लागू होने से रोका जा रहा है। यह पूरी तरह साजिश है, इसके अलावा कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह किसानों को दिल्ली-उत्तर प्रदेश जाकर आंदोलन करने के लिए कह रहे हैं, सुखबीर सिंह बादल पहले इन्हीं कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे थे, बाद में इसका विरोध करने लगे और किसान नेता आपस में ही एक दूसरे पर दूसरे दलों के पेरोल पर काम करने के आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानून किसानों के हित में हैं और किसानों की बेहतरी के लिए और कदम उठाएं जाएंगे।

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